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मुद्दे की बात : पड़ोसी मुल्कों से भारत की बढ़ती चुनौती

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श्रीलंका में नए राष्ट्रपति तो बांग्लादेश शाह के बयान पर भड़का

मालदीव से खटपट के बाद बांग्लादेश से भी भारत के रिश्तों में खटास फिर बढ़ गई। इसी बीच अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बने हैं। भारत समेत तमाम पड़ोसी मुल्कों की निगाह उन पर है। खासकर भारत को दिसानायके की पृष्ठभूमि को देख हुए सतर्क रहना होगा। उनको फिलहाल विदेशी मोर्चे पर भारत सहित पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को नई दिशा और उनमें एक नई रवानगी भरनी है। चूंकि, दिसानायके वामपंथी विचारधारा से आते हैं और उनकी पृष्ठभूमि काफी हद तक भारत विरोधी रही है। वह भारत का प्रभाव कम करने वाले हिंसक प्रदर्शनों में भी शामिल होते रहे हैं। हालांकि  हाल के वर्षों में उन्होंने अपने भारत विरोधी रुख एवं तेवरों को नरम किया है।

माना जा रहा है कि 2022 के आर्थिक संकट से श्रीलंका को उबारने के लिए भारत सरकार ने जिस तरीके से आर्थिक एवं मानवीय सहायता कोलंबो को पहुंचाई, उससे दिसानायके प्रभावित हुए। अब वह भारत को लेकर संतुलित बयान देते हैं। उन्हें पता है कि श्रीलंका को आर्थिक तंगी से निकालने में भारत की बड़ी भूमिका निभा सकता है। गौरतलब है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण 2022 में हुए व्यापक जन आंदोलन के बाद यह पहला चुनाव था। इस जन-आंदोलन में गोटबाया राजपक्षे को अपदस्थ कर दिया गया था। दिसानायके की इस जीत में युवाओं एवं छात्रों की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। हाल के वर्षों में अनुरा श्रीलंका के एक बड़े तबके की आवाज बनने में सफल रहे हैं। एक राष्ट्रपति के तौर पर वह कितना सफल हो पाते हैं, इस पर अब सभी की नजरें लगी हुई हैं। दिसानायके के समक्ष कई चुनौतियां हैं। घरेलू मोर्चे पर उनकी सबसे बड़ी चुनौती देश को आर्थिक संकट से निकालना और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तेज करना भी उनका मुख्य लक्ष्य रहेगा।

उधर, शेख हसीना के तख्तापलट और भारत में उनके शरण लेने के बाद से भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में आई खटास और बढ़ती जा रही है। अब इस मामले में नया विवाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के बाद जुड़ गया है. बांग्लादेश सरकार ने सोमवार 23 सितंबर को झारखंड में बांग्लादेशी नागरिकों के बारे में अमित शाह की हालिया टिप्पणियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया और इन टिप्पणियों को बेहद निंदनीय बताया। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में भारत के उप-उच्चायुक्त को विरोध पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने अपनी गंभीर आपत्ति, गहरी चोट और अत्यधिक नाराजगी व्यक्त की। ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, बांग्लादेश सरकार ने नई दिल्ली यानि भारत सरकार से अपने राजनीतिक नेताओं को इस तरह के आपत्तिजनक और अस्वीकार्य बयान देने से सावधान करने का आग्रह किया।

ढाका में भारत के उप-उच्चायुक्त को सौंपे गए विरोध-पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय ने अपनी गंभीर आपत्ति, गहरी चोट और अत्यधिक नाराजगी व्यक्त की और भारत सरकार से राजनीतिक नेताओं को इस तरह के आपत्तिजनक और अस्वीकार्य बयान देने से बचने की सलाह देने का आह्वान किया। बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि पड़ोसी देश के नागरिकों के खिलाफ जिम्मेदार पदों से आने वाली ऐसी टिप्पणियां दो मित्र देशों के बीच आपसी सम्मान और समझ की भावना को कमजोर करती हैं। इसलिए इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए। दरअसल, पिछले सप्ताह झारखंड की अपनी यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर झारखंड में लोग भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाते हैं तो भाजपा यहां रह रहे हर बांग्लादेशी घुसपैठिए को उल्टा लटकाकर सबक सिखाएगी। भारत-बांगलादेश के रिश्तों में खटास बढ़ाने के लिए कौन जिम्मेदार है, इस पर केंद्र सरकार को गंभीरता से विचार करने की जरुरत है। साथ ही श्रीलंका के राजनीतिक हालात पर भी कड़ी नजर रखनी होगी। वर्ना आने वाले समय में पड़ोसी मुल्क हमारे लिए गंभीर चुनौती बन सकते हैं।

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