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अति आक्रमकता का दौर

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संदीप शर्मा

इन दिनों मीडिया में आईपीएल क्रिकेट और लोकसभा के चुनाव अच्छी खासी सुर्खियां बटोरे हुए हैं। आईपीएल क्रिकेट का यह 16वां सीजन है और 18वीं लोकसभा के लिए देशभर में वोटिंग होनी है ऐसे में मीडिया की सुर्खियां ही क्यों हर आम और खास की जुबां पर एक ही सवाल है कि आईपीएल का इस सीजन का विजेता कौन बनेगा और लोकसभा चुनावों में इस बार किस पार्टी की पौ बारह होगी यानिकि किस पार्टी या किस गठबंधन की सरकार बनेगी।

आईपीएल क्रिकेट के निश्चित 20 ओवरों में खिलाडियों को अपने हुनर का जलवा दिखा होता है। क्या बाॅलर और क्या बैट्समैन हर किसी को बस एक जीत की दरकार होती है। क्रिकेट का यह फटाफट फार्मेट खिलाड़ियों के लिए खेल के मैदान पर करो या मरो के हालात पैदा कर देते हैं। क्रिकेट की इस अति आक्रमकता के चलते अब यह जेंटलमैन गैंम अपनी तकनीक और तहजीब से दूर होता जा रहा है। फटाफट क्रिकेट की तरह ही अब भारत की राजनीति का चाल,चलन और चेहरा भी बहुत हद तक बदलता सा जा रहा है। राजनीतिक दलों के रणनीतिकारों को हर हाल में जिताऊ उम्मीदवार चाहिए। इसका आशय यह महै कि वोट कै लिए हर खोट को सलाम है। कभी भारतीय क्रिकेट टीम में गुंडपा विश्वनाथ, सुनील गावस्कर, संजय मांजरेकर, राहुल द्रविड और चेतेश्वर पुजारा जैसे दिग्गज तकनीकी खिलाड़ी जेंटलमैन गैंम में भारत की इज्ज़त बढ़ाते थे लेकिन आज हर हाल मममें मैच जीतना टीम और देश की इज्ज़त का सवाल बन गया है।

जिताऊ उम्मीदवार के इस दौर में भारतीय राजनीति का वह दौर प्रसंगवश याद आ जाता है जब सी डी देशमुख, राजर्षि पी.डी.टंडन, लाल बहादुर शास्त्री, बाबू जगजीवन राम, अटल बिहारी वाजपेयी,इंद्र कुमार गुजराल सरीखे नेता चुनाव बड़ी ही विनम्रतापूर्वक और मर्यादा के साथ लड़ते थे। तब भी नेताओं को हार और जीत से बहुत फर्क पड़ता था लेकिन आज जैसी जीत हर हाल में की तरह की जिद्द नहीं हुआ करती थी।

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