एक नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं कर सकी। यह परिणाम बिल्कुल उनके उसी दावे के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी या तो 10 से कम सीटें जीतेगी या 150 से अधिक।
क्या था प्रशांत किशोर का दावा?
चुनाव से करीब दो सप्ताह पहले इंडिया टुडे से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा था कि “हमें या तो 10 से कम सीटें मिलेंगी या 150 से अधिक। अगर जनता भरोसा जताती है तो समीकरण बदल जाएंगे, और यदि नहीं, तो संभव है कि हमें 10 से भी कम सीटें मिलें।”
चुनाव में JSP का प्रदर्शन
जन सुराज पार्टी ने 238 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन मतगणना पूरी होने तक पार्टी एक भी सीट पर आगे नहीं निकल सकी। शुरुआत में चार सीटों पर बढ़त के बावजूद JSP का प्रदर्शन जल्द ही फीका पड़ गया और पहले ही दौर में पार्टी शून्य पर सिमट गई—जो किशोर की भविष्यवाणी का निचला हिस्सा सही साबित करता है।
एग्जिट पोल और सर्वे की भविष्यवाणी
एग्जिट पोल में भी JSP के कमजोर प्रदर्शन का अनुमान लगाया गया था, जो सत्य साबित हुआ। ‘पीपुल्स पल्स’ सर्वे ने लगभग 10% वोट मिलने की संभावना जताई थी, लेकिन यह वोट शेयर किसी भी सीट में नहीं बदल सका।
जहाँ JSP का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, वहीं एनडीए गठबंधन भाजपा, जदयू और लोजपा के सहयोग से बड़ी जीत की ओर बढ़ता दिखा। सुबह 11:30 बजे तक गठबंधन 190 सीटों पर आगे था। मतगणना के पहले घंटे में ही एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया और जल्द ही 150 सीटों से आगे निकल गया।
इन नतीजों ने प्रशांत किशोर के राजनीतिक प्रयोगों पर नए सवाल खड़े किए हैं। हालांकि उनकी भविष्यवाणी सही रही, लेकिन बिहार में तीसरी शक्ति के रूप में उभरने का उनका सपना अधूरा रह गया। आने वाले चुनावों से पहले उन्हें अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना होगा।





