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विवादों में रहे पर्ल ग्रुप के मालिक भंगू का निधन, ‘मास्टर-माइंड’ था 45 हजार करोड़ घोटाले का

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पंजाब में पैदा भंगू 2016 से तिहाड़ जेल में था बंद, हालत बिगड़ने पर उसको लेकर गए थे अस्पताल

नई दिल्ली 26 अगस्त। पंजाब में बरनाला जिले के रहने वाले पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू का दिल्ली में निधन हो गया। वह 45 हजार करोड़ के घोटाले का ‘मास्टर-माइंड’ था। उसे जनवरी, 2016 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। तब से ही वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था।

पांच करोड़ लोगों को ठगा : जानकारी के मुताबिक रविवार की रात तबियत बिगड़ने पर भंगू को तिहाड़ से दिल्ली के डीडीयू अस्पताल में ले जाया गया था। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बता दें कि भंगू पर आरोप था कि उसने पोंजी स्कीम्स से करोड़ों का साम्राज्य इकट्ठा किया। उसने 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को ऐसी स्कीम्स में फंसाकर हजारों करोड़ रुपए इकट्ठा किए और उसे विदेश में इन्वेस्ट कर दिया। जांच शुरू हुई तो जनवरी, 2016 में सीबीआई ने निर्मल सिंह को अरेस्ट किया। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले की जांच की थी।

बरनाला में साइकिल पर दूध बेचा : पर्ल ग्रुप का मालिक निर्मल सिंह भंगू पंजाब में बरनाला जिले का रहने वाला था। बताते हैं कि जवानी के दिनों में वह अपने भाई के साथ साइकिल से दूध बेचता था। इसी दौरान उसने पॉलिटिकल साइंस में पोस्‍ट ग्रेजुएशन भी किया। जब 70 के दशक में भंगू नौकरी की तलाश में कोलकाता गया तो उसने एक फेमस इन्वेस्टमेंट कंपनी पियरलेस में कुछ साल काम किया। उसके बाद इन्वेस्टर्स से करोड़ों की ठगी करने वाली हरियाणा की कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम करने लगा। इस कंपनी के बंद होने के बाद वह बेरोजगार हो गया।

बेरोजगारी ने दिया ठगी का आइडिया : बेरोजगारी के दौरान शातिर दिमाग भंगू को ठगी का आइडिया सूझा। उसने हरियाणा में ठगी करने वाली कंपनी में हासिल तजुर्बे से 1980 में पर्ल्‍स गोल्‍डन फॉरेस्‍ट नाम की कंपनी बनाई। यह कंपनी भी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की तर्ज पर लोगों से सागौन जैसे पेड़ों के प्लांटेशन पर इन्वेस्टमेंट करा कुछ वक्त बाद अच्छा मुनाफा लौटाने का वादा करती थी। साल 1996 तक कंपनी ने करोड़ों रुपए जुटा लिए। इनकम टैक्स और दूसरी जांच के चलते कंपनी को बंद कर दिया गया।

बरनाला में नई कंपनी खोल ठगी की : शातिर भंगू ने इसके बाद अपने गृह-जिले बरनाला से एक नई कंपनी पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड की शुरुआत की। ये एक चेन सिस्टम स्कीम्स थी। कंपनी के दिए बड़े मुनाफे के दावों और वादों के लालच में करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें पैसा लगा दिया। सोची-समझी साजिश के तहत लोगों से हर महीने मामूली रकम जमा कराई जाती थी। लोगों से जुटाई छोटी-छोटी रकम से भंगू ने देश ही नहीं, विदेश में भी पर्ल्स ग्रुप का एम्पायर खड़ा किया। करोड़ों की रकम उसने अलग-अलग कारोबारों में इन्वेस्ट की।

पैसा नहीं लौटने पर फंसा भंगू : जब वादे के मुताबिक आरोपी भंगू ने इन्वेस्टर्स को उनका लगाया पैसा नहीं लौटाया तो कंपनी के खिलाफ लोगों शिकायत दर्ज करानी शुरू कीं। इसके बाद ही मामला सीबीआई के पास तक पहुंच गया। सीबीआई-जांच के अनुसार लोगों से ठगी करने वाली कंपनियों की पहचान पर्ल्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, एआरएसएस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और जैन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के तौर पर हुई। बड़े रिटर्न के झूठे वादे पर लोगों को निवेश करने को मनाने के लिए निर्मल भंगू की कंपनियों द्वारा योजनाएं शुरू की गईं थीं। विभिन्न राज्यों के 5.50 करोड़ निवेशकों से जुटाई धनराशि का दुरुपयोग किया गया।

इन्वेस्टर्स को थमाए जमीनों के फर्जी दस्तावेज : सीबीआई जांच के मुताबिक आरोपी भंगू की कंपनी द्वारा निवेशकों को झूठे भूमि आवंटन पत्र दिए गए। दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में और उसके आसपास के अधिकांश लैंड अस्तित्व में नहीं थी या सरकारी प्रॉपर्टी थीं या उअसल मालिकों ने नहीं बेची थीं। इसमें 23 लाख से अधिक कमीशन एजेंट शामिल थे। उनमें से 1700 से अधिक सीनियर लैवल के फील्ड ऑफिसर थे। इन्हें निवेशकों लाने के लिए लाखों रुपए मासिक कमीशन देते थे।

हाईकोर्ट के निर्देश पर एक कंपनी बंद की : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर भंगू समेत बाकी आरोपियों ने एक योजना बंद कर दी। हालांकि पिछले निवेशकों को भुगतान करने के लिए इस्तेमाल की धनराशि इकट्ठा करने को एक अलग कंपनी के नाम पर नई योजना शुरू की। बाकी संस्थाओं का उपयोग कर एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी डायवर्ट किया। जबकि ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों में लगभग 132.99 मिलियन आस्ट्रेलियन डॉलर निवेश कर दिए।

सीएम मान ने प्रॉपर्टी सीज कराईं : पिछले साल मई में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पर्ल ग्रुप की प्रॉपर्टी सीज कर इन्वेस्टर्स के पैसे लौटाने का वादा किया। जिसके बाद पंजाब सरकार ने प्रॉपर्टी सीज करने की कानूनी प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने पिछले साल ही सितंबर में भंगू की पत्नी प्रेम कौर को गिरफ्तार किया। उस पर पर्ल ग्रुप की संपत्तियां अलग करने और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन का आरोप था। प्रेम कौर ने संपत्तियां बेचने को एक करीबी रिश्तेदार को ट्रांसफर करने के लिए नॉमिनेट किया था।

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