पंजाब/यूटर्न/20 जुलाई: हजारों करोड के जमीनी घोटाले के आरोप में पर्ल गरूप के उायरैक्टर को पंजाब विजीलैंस ने इमीग्रेश विभाग के सहयोग मुबई एयरपोर्ट से गिरफतार कर लिया है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) मामले में सनरंजीवन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के भगोड़े निदेशक प्रशांत मांजरेकर को किया है। जानकारी के मुताबिक, वह मुंबई से दुबई भागने की तैयारी में था। जहां पर उसक रिशतेदार रहते है। विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी के खिलाफ गांव घोलूमाजरा तहसील डेराबस्सी जिला एसएएस नगर में पीएसीएल की संपत्तियों की अवैध बिक्री में संलिप्तता के संबंध में पुलिस स्टेशन सदर सिटी जीरा जिला फिरोजपुर में दर्ज एफआईआर में भगौड़ा था। आरोपी को पता था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही गांव घोलूमाजरा व अन्य स्थानों पर पीएसीएल कंपनी की किसी भी संपत्ति को बेचने आदि पर रोक लगा दी गई है। फेनोमेनल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और सनरंजीवन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों व प्रमोटरों ने अन्य लोगों की मिलीभगत से साल 2018-19 में गांव घोलूमाजरा में पीएसीएल का गठन किया था। कोर्ट की तरफ से विवादित घोषित की गई 115 बीघे भूमि पर बेला विस्टा-01 और बेला विस्टा-02 नामक दो कलेनिया विकसित की थी। आरोपी डेवलपर्स ने दोनों कॉलोनियों में लोगों को प्लॉट व मकान बेचकर भारी पैसा कमाया। जिसके कारण इन कंपनियों के प्रमोटरों को विजिलेंस ब्यूरो द्वारा उक्त मामले में जोड़ा गया।
घोटाले में हुआ घोटाला
सूत्र बताते है कि कुल मिलाकर यह घोटाला हजारों करोडा का है और इस घोटाले में भी घोटाला हुआ है। असल में जब जमीन पर्ल गरूप को बेची दिखाई गई,उसके बाद जब मामला विजीलैंस व अदालत के समक्ष गया तो जमीनों के जाली कागतजात तैयार कर 20 से 25 पैसे में इसकी कंपनी को जमीन देने वालों ने दोबारा खरीद ली। इतना ही नही कंपनी ने जहां लोगों के साथ धोखा किया वहीं कंपनी के साथ उसके खासमखासों ने भी खूब मलाई चाटी।
आखिर कैसे बने पुरानी डेटों में कागजात
इस महाघोटाले में जिलाधीश कार्यलय से लेकर कुछ कागजात तसदीक करने वाले अधिकारी भी विजीलैंस की राडार पर है। आखिरकार पुरानी डेटों में किस तरह अस्टाम लिये गयेे,रजिस्ट्ररीया लिखाी गई व उसके बाद तसदीक भी कर दी गई। आने वाले दिनों में विजीलैंस सभी परतें खोलेगी,वैसे भी यह मामला ईडी के पास पहुंच चुका है।बताया जाता है कि जो जमीन 2018 में खरीद की गई अब घोटाला उजागर होने के बाद 2018 से पहले के कागजात तैयार कर लिये गये। विजीलैंस इस तथ्य की भी गहन जांच में लगी हुई है। इस बात की प्रमानिकता तब हो जाती है जब लुधियाना के एक नामचीन डिवैल्पर को भी ऐजंसी ने पूछताछ के लिये बुलाया तो वह जांच में शामिल हुआ। सूत्र बतातें है कि उसके पास भी इसी तरह से मोटी रकम आई थी।
निवेशकों को पैसा वापस करने का ऐलान कर चुकी पंजाब सरकार
पंजाब के मुयमंत्री पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि पीएसीएल की संपत्ति बेची जाएगी और बिक्री से प्राप्त आय उन निवेशकों को लौटाई जाएगी जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई कंपनी द्वारा प्रस्तावित सामूहिक निवेश योजना में लगाई थी। इसके लिए जस्टिस (रिटायर्ड) आर.एम. लोढ़ा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। प्रवक्ता ने आगे बताया कि उक्त आरोपी का ट्रांजिट रिमांड ले लिया गया है और उसे पंजाब की संबंधित अदालत में पेश किया जाएगा। इस मामले की आगे की जांच जारी है।
5.50 करोड़ निवेशकों को 60 हजार करोड़ का चूना
पर्ल ग्रुप पर आरोप है कि उन्होंने पूरे देश में करीब 5.50 करोड़ लोगों से प्रॉपर्टी में निवेश कराया। जबकि अगर बात की जाये तो कुल घोटाला कई सौं गुणा करोडों का है। इससे करीब 60 हजार करोड़ कमाए। निवेशकों को फर्जी अलॉटमेंट लेटर थमा दिए। फिर कंपनी ने यह पैसा हड़प लिया। भगवंत मान पहले संगरूर से लोकसभा सांसद थे। इस दौरान उन्होंने पर्ल ग्रुप की धोखाधड़ी का मुद्दा संसद में उठाया था। अब ठगी के शिकार लोगों को उंमीद है कि सीएम बनने के बाद भगवंत मान उनका पैसा वापस दिलाएंगे। पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू को जनवरी में गिरफतार किया गया था।
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