लुधियाना वैस्ट हल्के के आप विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन पर दिखा जज्बाती मंजर, सियासत से बड़ी होती है इंसानियत
लुधियाना 11 जनवरी। इस शहर में एक शख्स था, जिसे लोग प्यार से ‘गोगी जी’ कहते थे। जी हां, यह बात पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के लुधियाना वैस्ट से विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की हो रही है। जो बेशक अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके जाने के बाद यह तो साबित हो गई कि ये दौलत, शोहरत कुछ काम नहीं आएगी, जब आप दुनिया से जाओगे तो बस आपकी नेकी काम आएगी।
कारोबारियों से जुड़े रहे गोगी की खातिर
गमजदा कारोबारियों ने बंद रखा बाजार :
इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना के घुमार मंडी इलाके में रहने वाले गोगी महज 58 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। जवानी के दौर में राजनीति में सक्रिय हुए इस शख्स ने कांग्रेस में अपने करियर की शुरुआत की। तीन बार कौंसलर रहने के अलावा वह लुधियाना कांग्रेस शहरी जिला कमेटी के प्रधान भी रहे। पंजाब स्टेट इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन के चेयरमैन रहे गोगी ने उस दौरान इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना के उद्यमियों से गहरा नाता बन गया था। जहां उनकी परवरिश हुई, वही घुमार मंडी कारोबारी एरिया है, शनिवार को उनको निधन से आहत यहां के कारोबारियों ने पूरा बाजार बंद रखा, यह इस शख्स के जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े होने का सबसे बड़ा सबूत मिला।
पार्टी-पॉलिटिक्स से जुदा थी गोगी की राह :
लंबे वक्त कांग्रेस में रहने के बाद गुरप्रीत गोगी ने सियासी-हालात के चलते आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली थी। फिर आप से ही विधायक बने। उनके साथ कांग्रेस में रहे कई और नेता दूसरी पार्टियों का दामन थाम चुके थे। अब उनके निधन के बाद यह साबित हो गया कि गोगी पार्टी-पॉलिटिक्स से जुदा अपनी ही राह पर चलते थे। तभी कांग्रेस में उनके साथी रहे पूर्व कांग्रेसी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भी उनके निधन पर शोक जताने पहुंचे। काबिलेजिक्र है कि फिलहाल बिट्टू बीजेपी से राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं। सूबे की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे भारत भूषण आशु भी गोगी के निवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने गए। यहां काबिलेजिक्र जिक्र है कि कांग्रेसी उम्मीदवार आशु को ही पिछला विधानसभा चुनाव हराकर गोगी लुधियाना वैस्ट हल्के से आप के टिकट पर विधायक बने थे।
गवर्नर कटारिया घर पर तो सीएम मान
माता के साथ पहुंचे सीधे श्मशानघाट
गोगी भले ही एक विधायक थे, लेकिन अफसोस की बात, उनकी मिलनसारी की नायाब मिसाल उनके दुनिया से जाने के बाद सामने आई। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ही नहीं, उनकी माता हरपाल कौर खुद गोगी के अंतिम संस्कार के समय श्मशानघाट पहुंची। उन्होंने गोगी के निधन पर जिस तरह विलाप किया, देखने वाले कहते नजर आए कि वह इस शख्स को अपने बेटे की तरह ही प्यार करती होंगी। दूसरी तरफ, पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया भी उनके निवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे। कभी कांग्रेस सरकार के दौर में पंजाब विधानसभा के स्पीकर और कैबिनेट मंत्री रह चुके हरनाम दास जौहर आशु, गोगी और बिट्टू के राजनीतिक-संरक्षक माने जाते थे। उनके बेटे अजय जौहर फिलहाल आशु के साथ कांग्रेस में सक्रिय हैं, लेकिन वह भी गोगी के निवास शोक जताने पहुंचे। पूर्व डिप्टी कमिश्नर कुलदीप वैद भी लुधियाना के गिल हल्के से कांग्रेस के विधायक रहे, वह भी गोगी के निवास पर पहुंचे।
फर्श से अर्श तक हमेशा गोगी रहे चर्चा में :
कभी शहर में स्कूटर से सफर करने वाले गुरप्रीत गोगी ने अपने शौक के चलते कीमती कारें भी खरीदी थीं। हालांकि खुद विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान वह अपने पुराने स्कूटर पर ही सवार होकर नामाकंन पत्र दाखिल करने गए थे। बीते दिनों अपनी पत्नी डॉ.सुखचैन कौर बस्सी के नगर निगम चुनाव लड़ने के दौरान भी वह उनको उसी स्कूटर पर बैठाकर नामाकंन पत्र दाखिल करने गए थे। यहां गौरतलब है कि कीमती कार खरीदने के मुद्दे पर कभी विपक्षियों ने उन पर आम आदमी का विधायक होने के बावजूद ऐश-परस्ती के इलजाम लगाए थे। तभी भी गोगी ने बेबाकी से कहा था कि वह टैक्स-पेयर हैं और अपनी कमाई से अपने शौक पूरे करते हैं। जहां तक आम आदमी का सवाल है तो वह अपने पुराने स्कूटर पर ही सफर करने से कोई गुरेज नहीं करते हैं। आम लोगों की सेवा के लिए वह मुफ्त एंबुलेंस-सेवा भी प्रदान करते हैं। कोरोना काल में उन्होंने अपने हल्के में जरुरतमंदों को बड़ी तादाद में राशन सामग्री बांटकर खासी शोहरत हासिल की थी।
जमाना बड़े शौक से सुन रहा था,
हमीं सो गए दास्तां कहते-कहते
एक नामवर शायर ने वाकई सच ही कहा था कि जमाना बड़े शौक से सुन रहा था, हमीं सो गए दास्तां कहते-कहते। करीब तीन दशक से भूतपूर्व विधायक गुरप्रीत गोगी के सहयोगी के तौर पर जुड़े यादविंदर सिंह गोल्डी ने भरे मन से यह बात कही। बकौल उनके, लुधियाना नगर निगम के चुनाव में अपनी पत्नी की हार के बावजूद गोगी ने जिंदादिली से उनसे कहा था कि जनता का फैसला हमें मंजूर करना चाहिए। कोई बात नहीं, हम लोग मिलकर फिर से जनसेवा मुहिम चलाएंगे। शायद जनता ही हमें हमारी किसी अनजानी गलती के लिए माफ करेगी और फिर से पुराना सम्मान देगी। गम इसी बात का है कि वह अपनी योजना पर कैसे अमल करेंगे, यह बताने से पहले ही वह हमें छोड़कर चले गए।
इसी हल्के से तीसरी बार कौंसलर बने कपिल कुमार सोनू भी गोगी के अचानक दुनिया से चले जाने पर आहत दिखे। उन्होंने भी जज्बाती होकर यही कहा कि उन जैसा जिंदादिल शख्स कोई नहीं होगा। निगम चुनाव के दौरान वह लुधियाना के विकास को लेकर एक बड़ा प्लान बना रहहे थे, मगर अफसोस उसके पहले ही वह दुनिया से चले गए।
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