किताबें, वर्दियां स्कूलों में बेचने की शिकायतें अधर में लटकीं
लुधियाना/6 अप्रैल। महानगर के निजी स्कूलों में जारी मनमानी से परेंट्स परेशान हैं। दरअसल उनके खिलाफ शिकायतों पर अमल न हो पाने से स्कूलों की मैनेजमेंट बेखौफ नजर आ रही है।
यहां गौरतलब है कि तमाम पेरेंट्स कई स्कूलों में स्टूडेंट को किताबें व वर्दियां बेचने की शिकायतें कर चुके हैं। इनकी जांच के लिए डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी के आदेश पर डीईओ ने जांच टीमें गठित की थी। इन टीमों के औचक निरीक्षण का डर शायद कई स्कूलों को नहीं है। यही वजह है कि कुछ स्कूलों में अभी भी किताब विक्रेता बुक्स बेच रहे हैं। गत दिवस फिर ऐसी ही एक शिकायत डीसी के पास पहुंचने के बाद विभाग की जांच टीम बीआरएस नगर स्थित एक स्कूल में जांच करने गई थी।
डीईओ की ओर से डीसी को भेजी जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बारे में टैलीफोन पर प्राप्त शिकायत के आधार पर प्रिंसिपल प्रदीप कुमार व रविंद्र सिंह पर आधारित जांच टीम ने स्कूल में जाकर चैकिंग की थी। वहां किताबों के 12 डिब्बे पाए गए, जिनमें से कुछ डिब्बे बंद व कुछ खुले हुए थे। जांच टीम के मुताबिक ये किताबें विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों को बांटी जानी थीं। वहीं रिपोर्ट में डीईओ ने बताया है कि स्कूल प्रिंसिपल ने जांच टीम को भरोसा दिलाया कि स्कूल में किताबें नहीं बेची जाएंगी। जबकि फीस रैगुलेटरी एक्ट को पूरी तरह से लागू किया जाएगा।
निजी स्कूलों में चल रही कमर्शियल गतिविधियों की मिल रही शिकायतों की जांच के लिए डीसी के आदेशों पर डीईओ द्वारा बेशक विभिन्न कमेटियां बनाई, लेकिन ये बेमकसद साबित हो रही हैं। कमेटी बनाते समय यह ध्यान नहीं दिया गया कि जिन मैंबरों को इसमें शामिल किया गया है, उनमें से अधिकतर की ड्यूटी तो चुनावों में भी लगी हुई है। शिक्षा विभाग की ढीली कार्यप्रणाली के चलते जांच टीमें अभी तक अपनी चैकिंग पूरी नहीं कर पाई हैं। हालांकि डीईओ ने भी अपने आदेश के तहत चार अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी थी।
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