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गुस्ताख़ी माफ़ 29.12.2024
चक्कर कैसा आपने, चला रखा भगवान।
ग़लती करें पहाड़ियां, भुगत रहे मैदान।
भुगत रहे मैदान, हुआ हिमपात वहां पर।
भैया बिना कसूर, बढ़ गई ठंड यहां पर।
कह साहिल कविराय, बना डाले घनचक्कर।
चला रखा भगवान, आपने कैसा चक्कर।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल