गुस्ताख़ी माफ़

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गुस्ताख़ी माफ़ 28.7.2024

 

डॉलर पेड़ों पर लगे, जाकर लेंगे तोड़।

सोचा था सबने यही, तभी लगी थी होड़।

तभी लगी थी होड़, मगर सच आया आगे।

नहीं बनी जब बात, छोड़ कर वापस भागे।

कह साहिल कविराय, यहां था व्हाइट कॉलर।

वहां गुलामी करी, कमाने को कुछ डॉलर।

 

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

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