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गुस्ताख़ी माफ़

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गुस्ताख़ी माफ़

मानसून भी देखिए, रखता पूरा ध्यान।
शंभू में वह जानता, बैठे हुए किसान।
बैठे हुए किसान, न आने देंगे अंदर।
पठानकोट से अरे, तभी यह घुसा पतंदर।
कह साहिल कविराय, अगर यह सीधे आता।
या तो होता लेट, नहीं तो रद हो जाता।

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

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