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गुस्ताख़ी माफ़

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गुस्ताख़ी माफ़ 3.5.2024

 

आतीं चोणें जब निकट, हो जाते बेचैन।

टीचर-अफसर-क्लर्क सब, दुखी रहें दिन-रैन।

दुखी रहें दिन-रैन, बहाने गढ़ते धाकड़।

ड्यूटी कैसे कटे, बेलने पड़ते पापड़।

कह साहिल कविराय, यह ड्यूटी बड़ा डराती।

बीपी बढ़ने लगे, निकट जब चोणें आतीं।

 

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

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