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गुस्ताख़ी माफ 16.4.2024
बंटवारे से टिकट के, विकट हुआ टकराव।
कइयों को दिखता नहीं, पूरा होता चाव।
पूरा होता चाव, मची है मारा-मारी।
तोपें उल्टी घुमा, कर रहे गोला-बारी।
कह साहिल कविराय, अड़े बैठे हैं सारे।
अटक हलक में गये, टिकट के ये बंटवारे।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल