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गुस्ताख़ी माफ़ 15.4.2024
मामे-फुफ्फड़ हम सभी, पक्के रिश्तेदार।
दल हो कोई भी भले, मगर एक परिवार।
मगर एक परिवार, लीडरों में है एका।
मिलजुल कर है लिया, सियासत का हर ठेका।
कह साहिल कविराय, समझते सबको कुक्कड़। दाने देते डाल, मौज़ लें मामे-फुफ्फड़।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल