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गुस्ताख़ी माफ़ 26.6.2025
बाक़ी सत्रह किस लिए, आप रहे हैं छोड़।
इन पर भी प्रतिपक्ष की, दीजे बांह मरोड़।
दीजे बांह मरोड़, खोल कर रखिए नीतें।
केवल सौ किस लिए, एक सौ सत्रह जीतें।
कह साहिल कविराय, वेस्ट लुधियाना झांकी।
वापस हम आ रहे, साल पौने दो बाक़ी।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल