चंडीगढ़ 20 अगस्त। इस साल खरीफ सीज़न के दौरान पंजाब में धान की खरीद को लेकर फिर से विवाद और संकट की स्थिति बन रही है। पिछले साल की तरह इस बार भी चावल मिल मालिकों ने संकर (हाइब्रिड) किस्मों के धान को खरीदने और पीसने से मना कर दिया है, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है। हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा लगाए गए संकर धान की किस्मों पर प्रतिबंध को रद्द किया है। इसका मतलब यह हुआ कि अब किसान संकर धान की खेती कर सकते हैं, लेकिन मिल मालिक इन्हें नहीं लेना चाहते। इससे टकराव की स्थिति बन सकती है।
मिल मालिकों की दिक्कत क्या है ?
मिल मालिकों का कहना है कि संकर किस्मों से चावल की गुणवत्ता खराब होती है। आमतौर पर सरकार उन्हें धान देती है और बदले में वे 67 प्रतिशत चावल सरकार को लौटाते हैं (जिसे आउट-टर्न रेशियो कहते हैं)। लेकिन संकर किस्मों से सिर्फ 55-57% तक ही अच्छा चावल निकलता है, बाकी टूट जाता है या खराब होता है। इस नुकसान की भरपाई के लिए मिल मालिकों को बाजार से चावल खरीदकर देना पड़ता है, जिससे उन्हें घाटा होता है।
क्या हो सकता है असर ?
अगले महीने से मंडियों में धान की आवक शुरू हो जाएगी। अगर मिल मालिक इन किस्मों को नहीं खरीदते, तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलेगा। इससे किसानों में असंतोष और आंदोलन की स्थिति बन सकती है, जैसा कि पिछले साल हुआ था। मिल मालिक कह रहे हैं कि वे भारी नुकसान की वजह से संकर धान का भंडारण भी नहीं करेंगे।
सरकार क्या कर रही है
राज्य सरकार इस संकट को देखते हुए हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ लेटर्स पेटेंट अपील (एलपीए) दायर करने पर विचार कर रही है। सरकार पहले ही इन किस्मों पर प्रतिबंध इसलिए लाई थी क्योंकि मिल उद्योग का दबाव था। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा कि वे फिलहाल कानूनी सलाह ले रहे हैं, और चाहते हैं कि केंद्र सरकार इसमें दखल दे ताकि किसानों को कोई परेशानी न हो।
पिछले साल क्या हुआ था
पिछले साल भी मिल मालिकों ने संकर और पूसा-44 किस्मों की मिलिंग से इनकार कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने IIT-खड़गपुर की टीम से जांच करवाई, जिसमें भी ये पाया गया कि इन किस्मों से टूटे चावल ज्यादा निकलते हैं। कई हफ्तों के गतिरोध के बाद मिल मालिकों ने मिलिंग तो की, लेकिन किसानों से कम दाम पर धान खरीदा गया, जिससे किसानों को नुकसान हुआ।
इस साल की स्थिति
इस साल पंजाब में कुल 32.49 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हो रही है।
इसमें से 6.81 लाख हेक्टेयर में बासमती धान बोया गया है, जबकि बाकी हिस्से में अन्य किस्में, जिनमें संकर किस्में भी शामिल हैं, उगाई जा रही हैं।इस बार भी धान की खरीद और मिलिंग को लेकर टकराव की आशंका है। अगर सरकार, किसान और मिल मालिकों के बीच जल्दी समाधान नहीं निकला, तो इससे फसल खरीद में बाधा, किसानों का आक्रोश और आंदोलन जैसी स्थिति बन सकती है। राज्य सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए कोर्ट में अपील करने और केंद्र से मदद मांगने पर विचार कर रही है।