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केसरिया होने को उतावले हैं हमारे चम्पई

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सावन-भादों में सब दूर हरा ही हरा होता है लेकिन झारखंड में चम्पई बाबू केसरिया कहिये या भगवा होने के लिए उतावले है। जैसे खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है वैसे ही फूल को देखकर फूल भी रंग बदलने को मचलने लगता है। चम्पई एक रंग है और इसे चम्पा फूल का रंग भी माना जाता है। चम्पई अर्थात हल्की ज़रदी या सुनहरापन लिए हुए रंग। झारखंड राजनीति भी आजकल चम्पई के इर्द-गिर्द घूम रही है। आपको याद है न चम्पई जी झारखण्ड के कामचलाऊ मुख्यमंत्री बनाये गए थे।

चम्पई कहें या चम्पाई कोई फर्क नहीं पड़ता । वे झारखंड की राजनीति के फकीर है। पांच बार के विधायक और षटमासा मुख्यमंत्री भी है। उन्हें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होते ही मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। बस यहीं से झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की सियासत में खटाई पड़ गयी और व्यथित चम्पाई सोरेन को भाजपा ने अपने जाल में फंसाने की मुहीम शुरू कर दी। भाजपा ने पहले हेमंत सोरेन को जेल भेजकर झारखंड हथियाने के लिए आपरेशन ‘ लोटस ‘ चलाया था लेकिन आपरेशन नाकाम हो गया । खुद चम्पाई सोरेन जी ने इसे नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन अब वे ही चम्पाई सोरेन एक बार फिर झारखंड की राजनीति के बिभीषण बनने पर आमादा हैं।

वरिष्ठता के लिहाज से चम्पाई सोरेन कम नहीं है। पांच बार के विधायक है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्य हैं। उन्होंने शिबू सोरेन के साथ मिलकर राजनीति में काम किया है। सरायकेला विधानसभा क्षेत्र के इस फकीर ने 1995 में पहली बार 11वीं बिहार विधानसभा में पैर रखा था । 2000 में झारखण्ड अलग राज्य बनने के बाद, वह 2005 , 2009 2014 ,और 2019 में पांचवीं झारखंड विधानसभा में सरायकेला से विधायक बने । उन्हें उनकी वरिष्ठता के आधार पर ,तीन मर्तबा केबिनेट मंत्री भी बनाया गया लेकिन वे परिवारवाद की राजनीति के चलते राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बन सके । मुख्यमंत्री बनने का उनका सपना 2 फरवरी 2024 को तब पूरा हुआ ,जब 31 जनवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हो गयी। उन्हें हेमंत की गिरफ्तारी के बाद काम चलाऊ मुख्यमंत्री बनाया गया ,लेकिन 4 जुलाई 2024 को हेमंत की रिहाई के बाद उन्हें अपना राज-पाट छोड़ना पड़ा । यहीं से उनका मन खट्टा हो गया।

झमुमो के इस फकीर के मन में पड़ी खटास को देखते ही भाजपा ने एक बार फिर आपरेशन लोटस शुरू किया और चम्पाई पर डोरे डालने शुरू कर दिए।

कहते हैं कि अब चम्पाई बाबू बागी हो चुके हैं और अपने कथित अपमान का बदला लेने के लिए वे भाजपा से हाथ मिलाने के लिए उतावले हैं। खबर है की चंपई शनिवार को कोलकाता पहुंचे और फिर रविवार दोपहर दिल्ली। माना जा रहा है कि बीजेपी के कुछ सीनियर नेताओं से उनकी फोन पर भी बातचीत हुई और जल्द ही आमने-सामने की मीटिंग भी हो सकती है। चंपई सोरेन का दिल्ली में तीन दिन रहने का प्लान है। चंपई सोरेन के अलावा जेएमएम के 5-6 और विधायकों के भी अलग से बीजेपी के संपर्क में होने की चर्चा चल रही है।

रिवायत के अनुसार झामुमो नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के रविवार को दिल्ली आने के बाद कई तरह की अटकलें थीं। इसी बीच चंपई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के बायो से अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का नाम हटा दिया है। अब चंपई सोरेन के नए बायो पर सिर्फ झारखंड पूर्व सीएम लिखा हुआ है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के पुराने 4 दशकों से सिपहसलार और लेफ्टिनेंट चंपई सोरेन का अपने ही पार्टी से मोहभंग हो गया। उन्होंने जेएमएम पर अपमानित करने का आरोप लगाते हुए अपनी राहें जुदा करने का इरादा स्पष्ट कर दिया है। सोरेन ने कहा है कि आगे का हमसफर चुनने के लिए उनके तमाम विकल्प खुले हुए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन का आरोप है कि उन्हें बेआबरू करके सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. उनके तमाम अधिकार अपनी ही पार्टी और हेमंत सोरेन के करीबियों के द्वारा फ्रीज कर दिए गए थे।बगैर एजेंडा बताए विधायक दल की बैठक बुलाकर इस्तीफा देने का आदेश पारित कर दिया गया था. तमाम कार्यक्रम में जाने पर तीन दिनों तक रोक लगा दी गई थी, लिहाजा उन्होंने तय कर लिया था या तो वो संन्यास ले लेंगे, या फिर समानांतर संगठन खड़ा करेंगे या फिर कोई साथ चलने के लिए हमसफर चुन लेंगे। यानी पार्टीपार्टी छोड़ने की अनौपचारिक घोषणा वो कर चुके हैं।

आपको बता दें कि इससे पहले भाजपा बिहार में नीतीश कुमार के जरिये सत्ता में शामिल हो चुकी है। भाजपा बिभीषणों के जरिये 2020 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को हजम कर चुकी है। भाजपा को इस खेल में महारत हासिल है ,लेकिन अभी तक दिल्ली और झारखण्ड में उसकी चालें कामयाब नहीं हो पायी थीं। भाजपा हरियाणा और जम्मू-कश्मीर हाथ से जाने के पहले झारखंड को अपनी मुठ्ठी में करना चाहती है। ऐसा हो पायेगा या चम्पाई सोरेन ऍन मौके पर द्रवित हो जायेंगे,कहना कठिन है क्योंकि -‘कुर्सी महा ठगिनी हम जानी।

@ राकेश अचल ‘

achalrakesh1959@gmail.com

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