ओमेक्स रियल एस्टेट ग्रुप के दावे बड़े, लेकिन मौके पर हाथ खड़े

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लुधियाना 12 अक्टूबर। ओमेक्स रियल एस्टेट ग्रुप की और साउथ सिटी कैनाल रोड पर गांव इस्सेवाल में प्रोजेक्ट लाने के नाम पर पहले लोगों से पैसे ले लिए गए। चर्चा है कि जब ओमेक्स कंपनी की और से कैनाल रोड पर गांव इस्सेवाल की जमीन बेचते हुए कहा था कि उनकी और से 150 एकड़ जमीन यह प्रोजेक्ट लाया जा रहा है। चर्चा है कि कंपनी के पास तीन साल बाद भी मौके पर 80 एकड़ जमीन इकट्ठी नहीं हो सकी। अब कंपनी इस बात को सार्वजनिक नहीं कर पा रही, क्योंकि अगर इस बात को पब्लिक में लाया गया तो इन्वेस्टर्स में भारी रोष पैदा हो जाएगा। जिससे कंपनी को एडवांस में ली गई पेमेंट भी 

वापिस करनी पड़ सकती है। वहीं दूसरी तरफ कंपनी द्वारा इन्वेस्टर्स को फिक्स रिटर्न बंद कर दी गई है, जबकि तीन साल बाद भी उन्हें रजिस्ट्रियां करवाकर प्लॉट नहीं दिए। जिसके चलते अब इन्वेस्टर्स का कंपनी के प्रति रोष देखने को मिल रहा है। चर्चा है कि अगर यही हालात रहे तो इन्वेस्टर्स द्वारा रोष और तेज कर दिया जाएगा। जिससे कंपनी के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

कंपनी के पदाधिकारी नहीं दे रहे संतुष्टिजनक जवाब

इन्वेस्टर्स का कहना है कि जिन लोगों द्वारा कंपनी को 100 प्रतिशत पेमेंट दे दी, उन्हें तो कंपनी द्वारा फिक्स रिटर्न दी जा रही थी। लेकिन जिन्होंने 50 प्रतिशत से कम पेमेंट की, उन्हें फिक्स रिटर्न देना तो दूर, अब कंपनी के पदाधिकारी उनका फोन तक नहीं उठा रहे हैं। जिस कारण वह परेशान हो चुके हैं। उन इन्वेस्टर्स द्वारा कंपनी प्रति अपनी नाराजगी जताई जा रही है। उनका कहना है कि पदाधिकारी पहले तो कॉल करने पर फोन नहीं उठाते और अगर उठा लें तो संतुष्टिजनक जवाब नहीं दे रहे। जिससे वह बेहद परेशान हो चुके हैं कि आखिर वे करें तो क्या करें।

आखिर कब मिलेगें लोगों को उनके प्लॉट

वहीं इन्वेस्टर्स में चर्चा छिड़ गई है कि अभी तक ओमेक्स कंपनी द्वारा पूरी रजिस्ट्री भी नहीं करवाई गई और न ही नक्शा सरकारी तौर पर पास हुआ है। पहले रजिस्ट्रियां होंगी और नक्शा पास होगा। जिसके बाद रेरा नंबर के लिए अप्लाई हो सकेगा। चर्चा है कि रेरा नंबर को आने में भी एक साल तक का समय लग जाता है। ऐसे में चर्चाएं छिड़ गई है कि आखिर लोगों को उनकी जमीनें कब मिलेंगी।

आईटी रेड में भी इन्वेस्टर्स को झेलनी पड़ी समस्या

वहीं कुछ समय पहले ओमेक्स ग्रुप पर इनकम टैक्स विभाग द्वारा रेड की गई थी। यह रेड ऑल ओवर इंडिया में हुई थी। इस दौरान कंपनी के खातों में कई तरह की गलतियां सामने आई थी। जिसके बाद आईटी विभाग द्वारा कंपनी में इन्वेस्टमेंट करने वाले करीब 300 से 400 इन्वेस्टर्स को नोटिस भेजकर बुलाया था। जिसके बाद उनसे पूछताछ भी हुई। चर्चाएं है कि कंपनी की गलतियों का खमियाजा भी इन्वेस्टर्स को झेलना पड़ा।

प्रशासनिक अधिकारी भी नहीं ले रहे एक्शन

कंपनी द्वारा पैसा इकट्ठा करने के तीन साल बाद भी प्रोजेक्ट न लाने के कारण शहर में तरह तरह की चर्चाएं छिड़ी हुई है। चर्चा है कि कही बाकी कंपनियों की तरह यह कंपनी भी पैसा लेकर हाथ न खड़े कर दे। जिससे लोग परेशान हो चुके हैं। लेकिन दूसरी तरफ डीसी लुधियाना, सीए ग्लाडा और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी इस मामले पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। न ही उनकी तरफ से कोई एक्शन लिया जा रहा है। जिस कारण लोगों से लगातार पैसा हड़प किया जा रहा है। वहीं चर्चा है कि ओमेक्स कंपनी के पास रेरा नंबर भी नहीं है। ऐसे में सरकार को उस पर शिकंजा कसना भी मुश्किल हो जाएगा। हालांकि इस संबंध में ग्लाडा के सीए संदीप कुमार से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर भी इकट्ठे किए थे पैसे

वहीं एक रियल एस्टेट कंपनी की और से गांव झांडे में स्पोर्ट्स सिटी नाम से प्रोजेक्ट लाने के दावे किए थे। जिसे 100 एकड़ में लाने की बात कही गई थी। इसके बदले में लोगों से बुकिंग भी ली गई थी। लेकिन दावे के समय कंपनी के पास 10 एकड़ की जमीन की रजिस्ट्री भी नहीं थी। लेकिन आज इतना समय बीतने के बाद भी 50 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री भी नहीं है।

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