लुधियाना नगर निगम का ओएंडएम सेल हर महीने कर रहा करोड़ों का हेरफेर
लुधियान 2 जुलाई। लुधियाना के नगर निगम डिपार्टमेंट में शायद ही ऐसा कोई विभाग होगा, जहां पर करप्शन फ्री काम किया जाता हो। जहां पहले नगर निगम के अकाउंट्स ब्रांच द्वारा करोड़ों रुपए सरकारी खजाने को चुना लगाने का खुलासा हुआ था, वहीं अब नगर निगम के ही ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस सेल (ओएंडएम सेल) में भी बड़ा घोटाला करने का मामला सामने आया है। जहां ओएंडएम सेल के कलर्क से लेकर उच्च अधिकारियों तक लोगों को सीवरेज व पानी सप्लाई देने की आढ़ में हर महीने लाखों रुपए अंदर कर लिए जा रहे हैं। जबकि विभाग को नामात्र पेमेंट अदा कर हेरफेर किया जा रहा है। चर्चा है कि इस स्कैम में नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों को हिस्सा पहुंचता है। जानकारी के अनुसार ओएंडएम सेल का कार्य लोगों को सीवरेज व पानी कनेक्शन देना होता है। दरअसल, यहीं कनेक्शन देने की आढ़ में उनकी और से हर महीने 80 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक अंदर कर लिए जाते हैं। एक्सियन, एसडीओ व जेई तक इस घोटाले में शामिल होते हैं। चर्चा है कि नगर निगम कमिश्नर को इन घोटाला का पता है। लेकिन कही न कही वह खुद के विभाग पर गाज गिरने से बचाव करते हैं। लेकिन इसी वजह से लोगों से तो ठगी हो ही रही है, उसी के साथ साथ सरकारी खजाने को भी नुकसान होता है।
नियमों के मुताबिक ऐसे देना होता है कनेक्शन
जानकारी के अनुसार हर छोटे-बड़े घर के लिए सीवरेज व पानी का कनेक्शन चाहिए होता है। हर सड़क के दाए व बाए सीवरेज और पानी की लाइन डाली होती है। ओएंडएम सेल द्वारा कनकेक्शन प्रति फीट के हिसाब से चार्ज करता है, जबकि सड़क कौन सी है, इसके मुताबिक भी सरकारी फीस लगती है। वैसे निगम का रेड 25 रुपए फीट से लेकर 527 रुपए फीट है। अगर ओएंडएम सेल के नियमों की बात करें तो कम से कम 20 फीट तक की गली में एक कनेक्शन (सीवरेज व पानी) देने की 10-10 हजार रुपए तक सरकारी फीस है। अब सड़क की दोनों साइड़ लाइन है, एक लाइन घर के पास से गुजरती है, जिसके चलते उक्त लाइन की सरकारी फीस 2-3 हजार रुपए लगती है, जबकि दूसरी लाइन चाहे वे पानी या सीवरेज की हो तो उसे सड़क की दूसरी तरफ से खोदकर लाने पर 10 हजार चार्ज होते हैं। इसी कनेक्शन व फीस में मुलाजिम व अधिकारी बड़ा खेल करते हैं।
प्रति कनेक्शन 10 हजार जेब में डाल रहे मुलाजिम
नगर निगम के ओएंडएम सेल के मुलाजिमों को कनेक्शन संबंधी एप्लीकेशन आती है। जिसके बाद मुलाजिम मौके पर जाकर कनेक्शन लगाते हैं। मुलाजिमों द्वारा दोनों लाइनों के घर को कनेक्शन देकर घर मालिक से सारी सरकारी फीस वसूल कर ली जाती है। जबकि दस्तावेजों में घर के पास से गुरजरती लाइन का कनेक्शन देने का दिखाकर 2-3 हजार रुपए सरकारी फीस जमा करवा दी जाती है। जबकि सड़क खोदकर लगाए कनेक्शन की 10 हजार फीस अपने पास रख ली जाती है। जबकि किसी भी घर में अगर कनेक्शन देने हो तो दोनों चाहिए होते हैं।
एक करोड़ तक का हर महीने हेरफेर
जानकारी के अनुसार मुलाजिमों द्वारा उच्च अधिकारियों की शह पर दोनों कनेक्शन देकर सरकारी खजाने में 2-3 हजार जमा करवाकर बाकी 10 हजार अपने पास रखे जाते हैं। आंकड़ों के तरीके से समझे तो मान लीजिए हर महीने निगम द्वारा करीब एक हजार कनेक्शन दिए जाते हैं। ऐसे में प्रति कनेक्शन 10 हजार रुपए की ठगी भी हुई तो हर महीने एक करोड़ रुपए इकट्ठा हुए। यह करोड़ों रुपए सरकारी खजाने में नहीं बल्कि कलर्क से लेकर अधिकारियों की जेब में जाते हैं।
छोटी ठगी समझ अधिकारी व राजनेता नहीं देते ध्यान
चर्चा है कि इन ठगियों के बारे में अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक को पता होता है। लेकिन वह इसे छोटी मोटी ठगी मानते हैं। लेकिन अगर हर महीने की ठगी मारकर इकट्ठा की राशि देखें तो एक करोड़ रुपए तक बन जाती है। ऐसे में यह छोटी ठगी नहीं बल्कि करोड़ों का हेरफेर है। जबकि 2-4 हजार का घोटाला समझ उच्च अधिकारी इस पर ध्यान देना जरुरी ही नहीं समझते। लेकिन इससे सरकारी खजाने को बहुत भारी नुकसान पहुंचकर अधिकारियों द्वारा अपनी कोठियां व लग्जरी कारें बना ली जा रही हैं।