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हे राजनीति तेरे कितने रूप…आपतकाल की आफत से संविधान बचाओ अभियान तक 

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शबी हैदर

लखनउ , 25 जून : जिस प्रकार राजनीति में एक और एक ग्यारह होते हैं उसी प्रकार मुददा मुददे को काटता है। राहुल गांधी द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 में एक मुददे को जन्म दिया गया कि बीजेपी सविंधान को खत्म कर देगी। इस मुददे ने असर दिखाया और बाजी पलट दी। हाशिये पर खड़ी कांग्रेस को जीवनदान मिला और वह 99 सीटें जीत गयी। अब इसी मुददे को हथियार बना कर बीजेपी कांग्रेस के इस मुददे की हवा निकालना चाहती है। क्योंकि उसे लगता है कि यदि समय पर इस मुददे को दफ्न नहीं किया गया तो यह मुददा न जाने कितना राजनीतिक नुकसान कर देगा।

 

आज से 49 साल पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपताकाल लगाया था। उसी दिन को याद करते हुए बीजेपी ने आज के दिन को काला दिवस के तौर पर मनाया। आज जगह जगह कार्यक्रम किये गये और पूरे देश के सभी बड़े नेताओं ने इस मुददे पर आपनी बात रखी। आज के काला दिवस मानाने का मकसद साफ था कि कांग्रेस जिस संविधान को बचाने की बात कर रही है उसी कांग्रेस के नेताओं ने आपातकाल लगा कर संविधान की भावना को कई बार कुचलने की कोशिश की।

 

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक इस मुददे पर काफी आहत दिखाई दिेय और उन्होंने कांग्रेस को जम कर कोसा उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान सेनानियों के नाखूनो को प्लास तक से खीचा गया था। उनहोंने कहा​ कि इस मुददे पर कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उस समय के लोकतंत्र सेनानी उस वक्त को याद कर आज भी खून के आंसू रोते है।

 

यूपी के दूसरे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने मीडिया से बात करते हुए कहा​ कि जिन लोगों ने देश को आपातकाल की आफत में भेजने का काम किया था जनता उनहें सबक सिखाएंगी।

इडिंया गठबंधन के वह लोग जो आपतकाल में जेल में गये और आज वह कांग्रेस के सियासी पार्टनर बने घूम रहे हैं वह लोग आत्म चिंतन करें।

यूपी कैबिनेट मिनिस्टर सूर्य प्रताप शाही के सरकारी आवास पर लोकतंत्र सेनानी इकटठा हुए और गुजरे जामाने को याद किया। सेनानियों ने इस मुददे पर कांग्रेस को जमकर कोसा। वरिष्ठ राजनीतिक विषलेशक डी के त्रिपाठी कहते हैं कि राजनीति में दफ्न हो चुके मुददों को भी अपने फायदे के लिए भुनाया जाता है। डी​के ​त्रिपाठी के मुताबिक बीजेपी द्वारा हार की समीक्षा में भी यह बात एक मत से कही गयी कि कांग्रेस के स​वंधिान खतरे में है मुददे का पार्टी सही जवाब नहीं दे पाई जिसका चुनाव में नुकसान हुआ। अब बीजेपी उस मुददे को हल्का करने के​ लिए उससे बड़े मुददे को जन्म देने के मूड में है।

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