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घटिया रिफ्लेक्टर मामले में डिकैथलॉन लगे जुर्माने के बाद साइकिल इंडस्ट्री में बहस जारी

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सुझाव, जवाबदेह बीआईएस करे सभी निर्माताओं, विक्रेताओं की जांच

 

चंडीगढ़ 18 नवंबर। चंडीगढ़ में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रिफ्लेक्टर की खराब क्वालिटी के मामले में साइकिल उपभोक्ता के हक में अहम फैसला सुनाया था। जिसके तहत आयोग ने नामचीन कंपनी डिकैथलॉन स्पोर्ट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को साइकिल की खरीद राशि ब्याज सहित लौटाने और मुआवजा देने के निर्देश दिए थे। साइकिल इंडस्ट्री के हब लुधियाना में भी इस मुद्दे पर एक बड़ी बहस जारी है। साइकिल इंडस्ट्री से जुड़े नामी कारोबारी राष्ट्रीय निकाय होने के कारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ट्स यानि बीआईएस की जवाबदेही तय करने का सुझाव देते हैं। साथ ही बीआईएस के जरिए ही सभी साइकिल निर्माताओं और विक्रेताओं की व्यापक स्तर पर जांच की बात कहते हैं।

बीआईएस अपनी जिम्मेदारी निभाए : केके सेठ

नीलम साइकिल कंपनी के सीएमडी केके सेठ ने इस मामले में स्पष्ट किया कि कई नामी साइकिल कंपनियां क्वालिटी-प्रोडक्ट तैयार करती हैं। जबकि सैकड़ों ऐसी छोटी कंपनियां भी हैं, जो क्वालिटी का ख्याल नहीं रखतीं। बीआईएस को उनकी गंभीरता से बड़े स्तर पर जांच करनी चाहिए। वह रोष जताते हैं कि बीआईएस अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा। जबकि जांच एजेंसी होने के नाते यह उसकी ड्यूटी बनती है। सेठ मानते हैं कि कई स्तर पर गड़बड़ियां होती हैं। लिहाजा निचले स्तर तक निष्पक्ष जांच की जरुरत है, ताकि उपभोक्ताओं का साइकिल इंडस्ट्री के प्रति विश्वास और मजबूत हो सके।

बड़े स्तर पर डीलरों की भी जांच करें : अश्वनी गोयल

क्यूट साइकिल कंपनी के एमडी अश्वनी कुमार गोयल ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया जताई। उनके मुताबिक बीआईएस जांच के नाम पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम है। उसकी ओर से केवल रस्म अदायगी की गई। लुधियाना में छोटे-बड़े करीब पांच सौ साइकिल निर्माता हैं। जबकि रिफ्लेक्टर लगाना जरुरी होने के बाद ढाई सौ ही रजिस्ट्रेशन हो सके। उनमें से सबका रिन्युअल भी नहीं हो सका। नामचीन साइकिल कंपनियां कभी घटिया क्वालिटी का प्रोडेक्ट नहीं बनाएंगी। ताकि उनकी इमेज खराब ना हो। जहां तक घटिया रिफ्लेक्टर लगाने का सवाल है तो किस स्तर पर गलती हो रही है, व्यापक जांच की जरुरत है।

उनके मुताबिक आमतौर पर डीलर के स्तर पर गड़बड़ी होती है। बीआईएस को उनकी जांच करने की जरुरत है। साथ ही गोयल सुझाव देते हैं कि सबसे बड़ी जरुरत अवेयरनेस की है। जबकि उपभोक्ता जागरुक होगा तो उसे मालूम रहेगा कि बीस इंच से बड़ी साइकिल में दस रिफ्लेक्टर लगे होने जरुरी हैं। इसी तरह, यह गड़बडी भी पकड़ में आएगी कि साइज के मुताबिक उसका बिल बना है या बोगस बिलिंग हो रही है। कुल मिलाकर साइकिल निर्माता यह नहीं कर सकते, जांच का अधिकार बीआईएस जैसी आथोरिटी के पास है।

पहले भी अहम प्रतिक्रियाएं मिलीं :

यहां गौरतलब है कि उद्योग रत्न से सम्मानित एवन साइकिल के सीएमडी ओंकार सिंह पाहवा इस गंभीर मुद्दा बता चुके  हैं। इस मामले में युनाइटेड साइकिल पार्ट्स एंड मैन्युफैक्चर्रर्स एसोसिएशन यानि यूसीपीएमए के प्रेसिडेंट हरसिमरजीत सिंह लक्की तो बेहद मुखर हैं। वह बीआईएस को बाकायदा लिखित तौर पर एक्शन-मोड में रहने के लिए सुझाव दे चुके हैं। जबकि यूसीपीएम के पूर्व प्रेसिडेंट डीएस चावला तो बेबाकी से इलजाम लगा चुके हैं कि करप्शन के चलते ही इस मामले में भी गड़बड़ियां हो रही हैं।

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