बीजेपी से बिट्टू मंत्री, लोकसभा में एमपी वडिंग तो राज्यसभा में सांसद अरोड़ा, खूब होगी भिड़ंत
लुधियाना 10 जून। मोदी सरकार का गठन होने के बाद अब सियासी-तस्वीर बिल्कुल साफ हो चुकी है। अब इतना तो तय है कि लुधियाना की गूंज राजधानी दिल्ली तक जोरादार तरीके से सुनाई देगी। दरअसल, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा पहले से वहां इस महानगर की अगुवाई कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही लुधियाना लोस क्षेत्र से जीते अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग भी बतौर सांसद यहां की जनता के प्रतिनिधि बन गए। लोकसभा में उनके सामने भाजपा की ओर से राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू रहेंगे। जो लोस चुनाव हारने के बावजूद मोदी-मंत्रिमंडल का हिस्सा बन गए।
अब ऐसे हालात में संसद का सत्र शुरु होते ही लुधियाना को लेकर एक नया ही माहौल देखने को मिलेगा। मसलन, राज्यमंत्री रवनीत बिट्टू को लुधियाना लोस सीट पर तो खासतौर से फोकस करना पड़ेगा। जाहिर है कि भाजपा भी कुछ ऐसा ही चाहेगी। ताकि भविष्य में विधानसभा चुनाव के लिए उसकी मजबूत जमीन तैयार हो सके। अगर बिट्टू ऐसा नहीं करेंगे तो सबसे पहले उनसे बड़ी उम्मीदें रखने वाले लुधियानवी खुलकर रोष जताने लगेंगे। वहीं, विपक्षी जनप्रतिनिधि भी उनको घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।
मसलन, आप के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा ज्यादा जोरदारी से राज्यमंत्री की नाकामी रहने पर विरोध दर्ज कराएंगे। दरअसल वह अपने दो साल के कार्यकाल में लगातार लुधियनवियों के बीच सक्रिय रहे हैं। साथ ही कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को मंजूरी दिला उनको सिरे चढ़ाने की वजह से उनकी जनता के बीच खासी पैठ बन चुकी है। इस नजरिए से वह राज्यसभा में मंत्री बिट्टू को जवाबदेह बनाने का पूरा प्रयास करेंगे।
दूसरी तरफ, सांसद राजा वड़िंग भी खामोशी से नहीं बैठेंगे। चुनाव में जनता से किए वादों के मुताबिक वह लोकसभा में लुधियाना से जुड़े मुद्दे जोरदारी से उठाएंगे। जहां-कहीं उनको मंत्री बिट्टू की कोई कमी नजर आएगी तो वह उनकी घेराबंदी करने में देरी नहीं लगाएंगे। कुल मिलाकर ऐसे हालात में संसद के अंदर लुधियाना गाहे-बगाहे चर्चा में बना रहेगा। जबकि इसका सीधा फायदा स्थानीय जनता को मिलेगा। दबाव की इस राजनीति में कोई भी जनहित की योजना को चाहे मंत्री बिट्टू या सांसदों में वड़िंग और संजीव अरोड़ा में से कोई भी सिरे चढ़वाए, भला जनता का ही होगा।
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