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बुड्‌ढे नाले के प्रदूषण मामले अब पकने लगी ‘खिचड़ी’ डाइंग इंडस्ट्री और काला पानी मोर्चा हुए आमने-सामने

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तीसरे पक्ष के तौर पर उद्यमी-राजनेता तरुण जैन बावा

भी ‘पैचअप’ कराने वाली भूमिका में मैदान में उतर पड़े

लुधियाना 30 नवंबर। यहां दशकों पुराना प्रदूषित बुड्‌ढे नाले का मामला एक बार फिर गर्माने लगा है। बुनियादी मुद्दा तो प्रदूषित नाले की सफाई का है, लेकिन इसे ‘गंदा’ करने के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप की ‘खिचड़ी’ पकने लगी है। डाइंग इंडस्ट्री की ओर से गत दिनों बुड्‌ढे नाले के प्रदूषण के खिलाफ मुहिम चलाने वाले काला पानी मोर्चे को ‘ब्लैकमेलर’ तक कह दिया गया था। अब पलटवार करते मोर्चे के मुखिया व एक्टिविस्ट लक्खा सिधाना ने लाइव होकर डाइंग इंडस्ट्री को चुनौती दे डाली। वहीं डाइंग इंडस्ट्री से जुड़ी संस्था स्पेशल परपज व्हीकल ने किसी इंडस्ट्री पर आरोप लगाने की बजाए अपना पक्ष रखा। वहीं इसी बीच डाइंग इंडस्ट्री से जुड़े नामी उद्यमी व राजनेता तरुण जैन बावा ने इंडस्ट्री और समाजसेवियों के बीच बढ़ती तकरार को देखते हुए ‘पैचअप’ कराने वाली भूमिका में तीसरा पक्ष रखा। कुल मिलाकर ताजा हालात में बुड्‌ढे दरिया का प्रदूषण खत्म करने का बुनियादी मुद्दा फिर आरोप-प्रत्यारोपों के इस पेचीदा माहौल में कहीं गुम होता नजर आ रहा है।

एसपीवी का तर्क, इललीगल यूनिट्स जिम्मेदार :

इस मामले में डाइंग इंडस्ट्री में विशेष मुहिम के तहत बनी स्पेशल परपज व्हीकल संस्था यानि एसवीपी ने अपना पक्ष रखा। संस्था के डायरेक्टर सुभाष सैनी ने बताया कि डाइंग इंडस्ट्री द्वारा एनजीटी में दायर मामले में उनको स्टे मिल गया है। डाइंग इंडस्ट्री ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष विस्तार से रख दिया है। अब उसके फैसले का इंतजार है। उन्होंने कहा कि एसवीपी से जुड़ी करीब 35 यूनिट्स ने अपने पानी के ट्रीटमेंट के लिए 15 एमएलडी का अलग सीईटीपी प्लांट लगाया था। इस संस्था के चेयरमैन ललित जैन के साथ चार डायरेक्टर रजनीश गुप्ता, मुकेश जैन नवकार, अतुल मल्होत्रा व सुभाष सैनी हैं। उनका तर्क है कि पंजाब डायर्स एसोसिएशन के भी दो अलग सीईटीपी प्लांट्स 50 व 40 एमएलडी के लगे हैं। जबकि डाइंग, इलैक्ट्रोप्लेटिंग यूनिट्स के अलावा भी नगर निगम की सीवेरज लाइनों और डेरियों से बड़ी तादाद में पानी बुड्‌ढे नाले से होकर सतलुज दरिया तक जाता है। सैनी ने काला पानी मोर्चा या किसी औद्योगिक संस्था पर इलजाम लगाने की बजाए कहा कि प्रदूषित यानि बिना ट्रीटमेंट वाला कैमिकलयुक्त पानी ज्यादातर तो इललीगल यूनिट्स से जा रहा है। इसकी गंभीरता से जांच किए जाने की जरुरत है।

एनजीओ हकीकत से नावाकिफ :

एसपीवी ने एनजीओ द्वारा इंडस्ट्री को टारगेट करने पर एनजीटी के पुराने फैसले का हवाला दिया। जिसके मुताबिक राजस्थान में सतलुज दरिया से होते हुए गए प्रदूषित पानी से कैंसर जैसी बीमारियां फैलने के तथ्यजनक सबूत ना होने की बात कही गई थी। राजस्थान हो या पंजाब, एनजीओ हकीकत से वाकिफ नहीं हैं। सरकार के उदासीन रवैये के चलते ही लगातार बुड्ढा दरिया प्रदूषित होता चला गया। इसे राजनीतिक मजबूरी ही कहेंगे, निगम की सीवरेज लाइन के जरिए बुड्‌ढे दरिया को प्रदूषित करने वाली इललीगल यूनिटों व डेरियों पर कभी लगाम नहीं कसी गई। एनजीटी व अदालतें आदेश जारी कर सकती हैं, उन पर अमल कराना तो सरकारों का ही काम हैं।

काला पानी मोर्चा का डाइंग इंडस्ट्री पर हमला :

बुड्‌ढे नाले के प्रदूषित पानी से सतलुज दरिया को बचाने के लिए एक्टिविस्ट लक्खा सिधाना की अगुवाई में सक्रिय काला पानी मोर्चा फिर मैदान में है। मोर्चे ने तीन दिसंबर को लुधियाना में डाइंग यूनिटों के ट्रीटेड पानी को बुड्‌ढे नाले में गिराने वाले रास्ते बंद करने का ऐलान किया था। जिस पर डाइंग इंडस्ट्री ने पलटवार करते मोर्चे के मुखिया सिधाना को ‘ब्लैकमेलर’ कहा गया था। साथ ही उनसे निपटने की चेतावनी दी गई थी। इसे लेकर शनिवार को सिधाना ने सोशल मीडिया में लाइव होकर पलटवार किया। उन्होंने फिर से डाइंग इंडस्ट्री को बुड्‌ढे नाला प्रदूषित करने का जिम्मेदार बताया। साथ ही इलजाम लगाया कि डाइंग इंडस्ट्री को सूबे की मान सरकार व पुलिस-प्रशासन शह दे रहा है।

तरुण बावा आए ‘शांति-दूत’ की भूमिका में :

इसी बीच शनिवार को सिमेट्री रोड स्थित शेरे पंजाब अकाली दल के दफ्तर में पार्टी के सदस्य व उद्यमी तरुण जैन बावा ने प्रेस कांफ्रेंस की। यहां काबिलेजिक्र है कि राजनेता होने के साथ बहादुरके टैक्सटाइल एसोसिएशन के प्रधान बावा ने काला पानी मोर्चा व डाइंग इंडस्ट्री के बीच सुलह कराने वाली भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि मोर्चे की भावनाएं अच्छी हैं, लेकिन जानकारी अधूरी है। मोर्चे व डाइंग इंडस्ट्री के बीच तीन दिसंबर को टकराव की आशंका चिंताजनक बात है। लिहाजा मोर्चे को यह समझना चाहिए कि कैप्टन सरकार के दौर से अब मान सरकार के कार्यकाल तक इस मामले में गलत फैसले लिए गए। नतीजतन बुड्‌ढा नाला साफ नहीं हो सका। मौजूदा आप विधायक गुरप्रीत गोगी खुद अपनी सरकार से इस मामले में हताश थे। उन्होंने सुझाव दिया कि सबको मिल-बैठकर इस मुद्दे पर गंभीरता से हल का रास्ता खोजने की जरुरत है।

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