नई दिल्ली 18 मार्च। राजनीति के अखाड़े में इस बार आप और कांग्रेस के सूरमा एकजुट होकर उतर रहे हैं। दलों के गठबंधन के बाद दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता मतदाताओं के बीच पहुंचकर उनसे गठबंधन की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
इसके लिए आप कार्यकतार्ओं को हर मतदाता तक पहुंचने का मंत्र दे रही है, ताकि कांग्रेस के कोर वोटर को आप के साथ जोड़कर भाजपा को चुनौती दी जा सके। पिछले लोकसभा चुनाव में आप को 18 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि कांग्रेस को 22 प्रतिशत मत मिले थे।
हर वर्ग को अपनी बात समझाने में जुटी ह्यआपह्ण
ऐसे में आप के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि यह 40 प्रतिशत वोट एकजुट होकर गठबंधन के पक्ष में मतदान करते हैं तो राजधानी में मुकाबला कांटे का हो सकता है। यही नहीं आप को यह चिंता भी सता रही है कि यदि लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन में गिरावट आती है तो इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।
यही वजह है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद भी चुनाव जीतने के लिए हर दांव चल रहे हैं। उनका मकसद यही है कि हर वर्ग को अपनी बात समझा सकें। पिछले साल राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए यह पहला चुनाव है।
पिछले दो लोकसभा चुनाव में आप बहुत मजबूती के साथ चुनाव लड़ी थी, हालांकि 2014 की अपेक्षा 2019 के चुनाव में आप का मत प्रतिशत कम हुआ है।
2014 में आप ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, उसे दिल्ली में 32 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में आप को 18.1 प्रतिशत मत मिले थे। इस बार आप ने नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली सीट पर प्रत्याशी उतारे हैं।