लुधियाना के बाद जालसाजों ने अफसर बन सेहतकर्मी को व्ह्टसएप कॉल पर नकली थाना दिखाकर डराया
चंडीगढ़ 30 सितंबर। यहां सैक्टर-26 में होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के एक कर्मचारी से जालसाजों ने बड़ी ठगी कर ली। खुद को प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी का अफसर बताकर जालसाजों ने 39 लाख 70 हजार 593 रुपए की ठगी कर ली।
जानकारी के मुताबिक ठगों ने पीड़ित के आधार कार्ड पर एक्टिव एक सिम को आतंकी गतिविधियों और अवैध बैंक लेनदेन से जुड़ा बताकर उसे डराया। सैक्टर-11 निवासी नवपिंदर सिंह को ठगों ने वीडियो कॉल के जरिए एक नकली पुलिस स्टेशन भी दिखाया। उन्होंने कहा कि अगर वह पैसे नहीं देते हैं तो उन्हें 7 साल की सजा हो सकती है। आरोपी ने नवपिंदर के पिता को धमकाते हुए कहा कि मामले को दर्ज करने से रोकने के लिए तुरंत पैसे जमा करें। डर के मारे उनके पिता ने ठगों के बताए खाते में बड़ी रकम जमा करा दी।
ठगी का पता चलने पर नवपिंदर ने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी। साइबर सेल ने मामले की जांच शुरू की और नवपिंदर की शिकायत पर अज्ञात ठगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। नवपिंदर सिंह ने शिकायत में बताया कि 24 जून 2024 को वह सेक्टर-26 स्थित होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी कर रहे थे, जब उन्हें एक फोन आया। कॉलर ने खुद को सुनील मिश्रा, दिल्ली संचार नियामक प्राधिकरण से बताया। उसने कहा कि नवपिंदर के आधार कार्ड पर एक सिम एक्टिव है। जो आतंकी गतिविधियों में शामिल है। जो एसबीआई और एचडीएफसी बैंक में अवैध लेनदेन से जुड़ी है।
नवपिंदर ने ऐसी किसी जानकारी से इंकार किया तो कॉलर ने वीडियो कॉल को एक पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया। वहां नकली पुलिसकर्मियों को देखकर नवपिंदर और भी ज्यादा डर गए। एक पुलिसकर्मी ने खुद को ईडी का अधिकारी बताते हुए नवपिंदर को गंभीर आरोपों से घेर दिया। उसने अदालत में फाइल जमा करने और अन्य औपचारिकताओं का हवाला देते हुए नवपिंदर से पैसों की मांग की। इसके बाद नवपिंदर के पिता को एक फर्जी कॉल आई, जिसमें बताया गया कि उनका बेटा हिरासत में है। उसे रिहा करने के लिए पैसे जमा करने को कहा गया। डर के मारे उनके पिता ने ठगों के निर्देशानुसार खाते में 12 लाख रुपए जमा कर दिए।
इसके बाद, 16 जुलाई को एचडीएफसी खाते में 97,000 और 51,000 रुपए और 22 जुलाई को 10 लाख रुपए और जमा करवाए गए। कुल मिलाकर एसबीआई बैंक से 29 लाख 95 हजार 593 रुपए और एचडीएफसी बैंक से 9 लाख 75 हजार रुपए ठगों को भेज दिए गए। ठगी का एहसास होते ही परिवार ने पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद साइबर सेल ने मामले की जांच शुरू की।
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