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अब यह हुए नगर निगम के भ्रष्टाचार का शिकार

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लुधियाना 25 सितंबर। लुधियाना के नगर निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला खुलेआम चल रहा है। लेकिन फिर भी इस विभाग पर पंजाब सरकार लगाम नहीं लगा पा रही है। आए दिन निगम अधिकारियों द्वारा अपनी मनमर्जी से नई बना इमारतों को सीएलयू जारी कर दिया जाता है। वह तो रिश्वत लेकर सीएलयू जारी कर देते हैं, लेकिन उसका खमियाजा उन पर यकीन करने वाले बिल्डिंग मालिकों को भुगतना पड़ता है। इसी तरह का मामला लुधियाना के मॉडल टाउन की गुजरखां रोड का सामने आया है। जहां पर प्रेम सिंह सोखी नामक बिल्डर की और से 9 मंजिलां कमर्शियल इमारत बनाई गई। जबकि इमारत की सभी फीसें भी जमा करवाई गई, यहां तक कि सीएलयू के 2 करोड़ रुपए भी जमा करवाए गए। लेकिन इलाके के लोगों द्वारा बिल्डिंग खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट द्वारा बिल्डिंग निर्माण पर रोक लगा दी गई। जिसके बाद पता चला कि निगम अधिकारियों द्वारा अपनी जेब गर्म करने के चक्कर में बिल्डिंग मालिक को गलत तरीके से सीएलयू देकर फंसा दिया है। निगम अफसरों द्वारा खुद तो अपनी जेब गर्म कर ली गई, लेकिन अब उक्त बिल्डिंग मालिक का निर्माण पर करोड़ों रुपए खर्च करवाकर उसे फंसा दिया गया है। यानि कि मालिक भी निगम के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है।

लोगों को फंसाने के बाद पक्ष भी नहीं रखते अफसर
वहीं चर्चा है कि लोगों को गलत गाइड करके सीएलयू देने के बाद निगम अफसर खुद पीछे हो जाते हैं। यहां तक कि अगर मामला कोर्ट में पहुंच जाए तो वहां पर पेश होने के आदेश आने के बावजूद निगम अफसर खुद पेश होने नहीं पहुंचते और न ही रिकॉर्ड दिखाया जाता है। रिकॉर्ड न दिखाने के कारण बिल्डिंग मालिक अपना पक्ष नहीं रख पाते। जिस कारण निगम के वकीलों वकीलों द्वारा भी सही से केस की पैरवी नहीं की जा पाती। इसी वजह से मान्नीय अदालतों द्वारा सामने पेश हुए सबुतों के आधार पर फैसला सुनाया जाता है। निगम अधिकारी पहले सीएलयू व अन्य परमिशनें देने के दौरान तो खुद आकर दस्तावेज पकड़ाते है। लेकिन जब जमीन का विवाद हो जाए तो इतने व्यस्त हो जाते हैं, कि फिर अपना पक्ष तक रखने नहीं आते।

पंजाब सरकार भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई कर मिसाल करें कायम
वहीं लोगों में चर्चा है कि पंजाब सरकार द्वारा नगर निगम के ऐसे भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि एक मिसाल कायम हो सके। क्योंकि एक भ्रष्ट अधिकारी पर एक्शन होने के बाद बाकी के अधिकारी खुद ही सही हो जाएंगे। जबकि इससे आगे से किसी व्यक्ति को ऐसे गलत गाइड कर व परमिशनें देकर फंसाया नहीं जा सकेगा।

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