चर्चा, बुड्ढा दरिया की सफाई नाम पर लाखों रुपये ‘साफ’ कर रहे ‘बाहुबली’ अफसर
लुधियाना, 29 जुलाई। घपले-घोटालों के लिए चर्चित लुधियाना नगर निगम में अब एक और बड़ा ‘खेला’ सामने आने के आसार हैं। चर्चा हैं कि बुड्ढे दरिया की सफाई के नाम पर चर्चित ‘बाहुबली’ अफसर अपने चहेते ठेकेदारों से मिलकर लाखों रुपये खर्च करा अपनी मुट्ठी भी ‘गर्म’ कर रहे हैं।
निगम के पास 4 मशीनें, एक दी सीचेवाल को :
सूत्रों के मुताबिक बुड्ढे दरिया की सफाई के लिए लगी नगर निगम की पोक-लेन मशीनों से दो महीने से सफाई हो रही थी। यहां काबिलेजिक्र है निगम के पास खुद अपनी चार मशीनें हैं। जिसमें से एक मशीन काली बेई की सफाई करने वाले राज्यसभा सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल को दे दी गई। जिनकी निगरानी में लुधियाना के ताजपुर रोड पर बुड्ढे दरिया की सफाई मुहिम चलाई जा रही है। हालांकि उनके पास खुद दो अपनी पोक-मशीनें हैं।
निगम अफसरों ने ऐसे ‘खेला’ किया !
सूत्रों के मुताबिक निगम के अफसर अपनी तीन पोक-मशीनों से मार्च महीने से बुड्ढे दरिया की सफाई में लगे हैं। इस बीच निगम अफसर अलग-अलग लोकेशन पर सफाई करा रहे थे। इसी बीच पता चला कि निगम प्रशासन नई पोक-मशीनों के लिए तीन कांट्रेक्टर से मशीनें लेने को कोटेशन मांगी थी। जिसमें सबसे सस्ती कोटेशन करीब 2.36 की मनमोहन सिंह ठेकेदार ने दी। यहां काबिलेजिक्र है कि जिन जेई-एसडीओ के नाम पर बिल पास किए गए, वे सब आउटसोर्स पर लगे हैं। हालांकि उनको बिल पास करने के लिए साइन करने की पावर नहीं है।
ग्राउंड-रियलिटी से उठ रहे सवाल :
जानकार सूत्रों के मुताबिक एक पोक-मशीन एक दिन में करीब 700 मीटर से एक किमी तक सफाई करती है। जिस पर निगम प्रशासन द्वारा हर दिन करीब 23 हजार रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अगर बाजार से यही मशीन लें तो 10-12 हजार रुपये ही प्रतिदिन खर्च आएगा। यहां गौरतलब है कि बुड्ढे दरिया की कुल लंबाई सिर्फ 14 किमी है। ऐसे में अंदाजन 15 दिन में पूरे बुड्ढे दरिया को साफ किया जा सकता है।
क्या कहता है नियम :
सूत्रों के मुताबिक मार्च महीने से अब तक निगम प्रशासन बुड्ढे दरिया की सफाई के नाम पर 6 बार बिल पास कर चुका है। करीब 2.32 लाख के बिल हर दस दिन के बाद पास कर दिए गए। यह परमिशन इमरजेंसी फंड में से लगी गई। हालांकि निगम कमिश्नर की पावर के तहत महीने में एक-आध बार ढाई लाख रुपये खर्च किए जा सकते हैं। जबकि बुड्ढे दरिया की सफाई का अभियान पूर्व नियोजित था, यह कोई आपदा नहीं थी। यह भी चर्चा गौरतलब है कि सारे बिल हर बार तीन ठेकेदारों की कोटेशन लेकर पास किए गए। हालांकि निगम का ट्रांर्सपेरेंसी एक्ट के मुताबिक बिना इमरजेंसी के 20 हजार रुपये से ज्यादा खर्च पर टेंडर लगाना जरुरी होता है।
———–