ट्रम्प के लिए 2025 के लिए नामांकन की आखिरी तारीख के बाद प्राप्त नामांकन अगले वर्ष 2026 के लिए विचार होने की संभावना
डोनाल्ड ट्रंप को 2025 का शांति पुरस्कार मिलने की संभावना नहीं, 2026 के लिए कठोर शांति श्रम करना होगा- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कारों की घोषणाएँ हर वर्ष की तरह, 2025 में भी 6 से 13 अक्टूबर तक क़े “नोबेल सप्ताह” में की जा रही है जिस पर पूरे विश्व की नज़रें लगी हुई है विशेष रूप से नोबेल शांति पुरस्कार पर। चिकित्सा से शुरुआत, फिर भौतिकी, रसायन, साहित्य, शांति और अन्त में अर्थशास्त्र, सोमवार, 6 अक्टूबर 2025, चिकित्सा की घोषणा हुई नोबेलसमिति द्वारा नॉबेल चिकित्सा या जीवविज्ञान पुरस्कार की घोषणा की गई। घोषणा आमतौर पर स्टॉकहोम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में होती है, और लाइव प्रसारण किया जाता है। यह पहला दिन होने के कारण वैज्ञानिक और स्वास्थ्य जगत में उच्च उत्सुकता होती है, और यह नोबेल सप्ताह की शुरुआत का संकेत देता है। दूसरे दिन मंगलवार 7 अक्टूबर 2025 भौतिकी पुरस्कार की घोषणा हुई है। यह परम्परा है कि भौतिकी पुरस्कार सप्ताह के दूसरे दिन घोषित किया जाए। बुधवार, 8 अक्टूबर 2025- रसायन पुरस्कार, 9 अक्टूबर 2025, साहित्य पुरस्कार की घोषणा होती है। साहित्य जगत, लेखकों, कवियों, आलोचकों एवं साहित्य- प्रेमियों के लिए यह एक उत्सव का दिन होता है। विजेता लेखक की पिछली कृतियाँ, विषय, उनकी वैश्विक प्रभाव और भाषा- संघर्ष चर्चित होते हैं।आमतौर पर, विजेता पहले से अज्ञात होते हैं,यानी लेखक को अचानक इस खबर की अभिभूत कर देने वाली घोषणा सुननी होती है।मीडिया एवं साहित्यकार तुरंत प्रतिक्रियाएँ देते हैं,“क्या यह सही चयन है?”,“इसका साहित्य जगत पर क्या असर होगा?”,“इसके बाद लेखक की प्रसिद्धि और उनकी पुस्तकें किन भाषाओं में अनुवाद होंगी?” आदि सवाल उठते हैं।शुक्रवार,10 अक्टूबर 2025 शांति पुरस्कार की घोषणा, यह पुरस्कार नोर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा सौंपा जाता है, जो नॉर्वे की संसद द्वारा नामित सदस्यों से मिलकर बनती है। इस दिन पूरी दुनियाँ की निगाहें तनावपूर्ण होती हैं,क्योंकि शांति पुरस्कार का राजनीतिक और सामाजिक महत्व बहुत अधिक होता है।विजेता या विजेताओं की घोषणा होते ही वैश्विक मीडिया,सरकारें, सामाजिक-न्याय और मानवाधिकार संगठन अपनी प्रतिक्रियाएँ देते हैं। पुरस्कार विजेता को शांति- संबंधी योगदानों के आधार पर आलोचना या समर्थन मिलता है।कई बार इस दिन ही यह विवाद उत्पन्न होता है कि क्या चयन न्यायसंगत है, क्या विजेता ने वास्तव में शांति लाने में योगदान दिया है,आदि।बाद में (दिसंबर में) विजेता को ओस्लो में शांति पुरस्कार समारोह और संबद्ध कार्यक्रम (जैसे संवाद, व्याख्यान) आयोजित होते हैं।मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र मानता हूं कि,अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को कई दिनों से शांति पुरस्कार मिलने की संभावना है चल रही है जबकि वे खुद कबूल कर चुके हैं कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया जाएगा, वैसे भी कई नॉमिनेशन सिफारिशें अंतिम तारीख निकालने के बाद गए हैँ, वैसे भी मीडिया के अनुसार वे एक विवादास्पद, चिर विवादित और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तित्व हैँ, लंबे समय से नोबेल शांति पुरस्कार को प्राप्त करने की आकांक्षा रखते हैं,या कम-से-कम इसके लिए नामित होना चाहते हैं। इस खंड में मैं उनके उस सपने की सम्भाव्यता, उसकी रणनीति, चुनौतियाँ और समाज- राजनीति में इसके असर को समझने की कोशिश करूँगा। सोमवार, 13 अक्टूबर 2025, अर्थशास्त्र पुरस्कार की घोषणा, विजेताओं को इस घोषणा के बाद दिसंबर में स्टॉकहोम में पुरस्कार ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया जाएगा। इस दिन के बाद नोबेल सप्ताह की घोषणाएँ समाप्त होती हैं और अगले महीनों में पुरस्कार वितरण, संवाद एवं समारोहों की व्यवस्था होती हैँ नोबेल पुरस्कार वितरण समारोह 10 दिसंबर को होता है,यह दिन अल्फ्रेड नोबेल के निधन की वर्षगांठ है। शांति पुरस्कार विजेता के लिए यह समारोह ओस्लो, नॉर्वे में आयोजित होता है, जबकि अन्य पुरस्कारों (चिकित्सा, भौतिकी, रसायन, साहित्य, अर्थशास्त्र) का समारोह स्टॉकहोम, स्वीडन में होता है। विजेता को सोने की पदक, प्रमाणपत्र,और निधि राशि दी जाती है।पुरस्कार राशि समय-समय परपरिवर्तित होती है।
साथियों बात अगर हम पूरे विश्व की जिस पुरस्कार पर नजरें लगी हुई है, नोबेल शांति पुरस्कार: क्या ट्रम्प को मिलने की संभावना ? इसको समझने की करें तो, नोबेल शांति पुरस्कार दुनियाँ भर में राजनीति, मानवाधिकार और संघर्ष- समाधान की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील और विवादास्पद माना जाता है।जब किसी सक्रिय राजनीतिक नेता (जैसे कि ट्रम्प) को इसके लिए प्रस्तावित या संभावित रूप से विजेता माना जाता है, तो उसके प्रति विश्व की निगाहें तीव्र हो जाती हैं, आलोचना, समर्थन और राजनीतिक-रणनीति सभी एकसाथ होती हैं।
साथियों बात अगर हम ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की संभावनाएं अपेक्षाएँ और चुनौतियाँ की करें तो समर्थक तर्क-(1)मध्यस्थता और संघर्ष समाधान-ट्रम्प समर्थकों का तर्क है कि उन्होंने मध्य पूर्व, भारत- पाकिस्तान, इजरायल-इरान, और अन्य क्षेत्रों में कुछ कूटनीतिक एवं मध्यस्थता पहल की हैं,जो उन्हें शांति- निर्माता के रूप में पेश करती हैं। उदाहरण के लिए, पाकिस्तानी सरकार ने ट्रम्प को भारत-पाकिस्तान संघर्ष में हस्तक्षेप करने और शांति प्रस्तावित करने के आधार पर नामांकित करने की बात कही है। इसके अतिरिक्त, मध्य पूर्व में ट्रम्प की भूमिका और एब्रहाम समझौते आदि कूटनीतिक पहलें समर्थकों द्वारा उलगुलाही जाती हैं। (2)नामांकन और सट्टेबाज़ी बाजार संकेत-ट्रम्प को पहले भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है (2018, 2020, 2021) 2025 के लिए सट्टेबाजियों में ट्रम्प कोविजेताओं की सूची में माना गया है, उदाहरण के लिए, कुछ बाजारों में उनकी संभावना लगभग 13.3 पर्सेंट बताई गई है। इस तरह की बाजार-संकेत आलोचकों और समर्थकों दोनों के लिए दिलचस्प विषय होते हैं (3) राजनीति और प्रतिष्ठा-ट्रम्प एक बहुत प्रभावशाली वैश्विक नेता हैं। यदि उन्हें शांति पुरस्कार मिले, तो यह उनके राजनीतिक प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगा। वे स्वयं भी अक्सर इस पुरस्कार की ओर आकृषित प्रतीत होते हैं- मीडिया में उनके टिप्पणियाँ और दावे देखने को मिलते हैं। उनका मानना है कि उनके अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को अभी तक न्याय नहीं मिला है। बाधाएँ और प्रतिकूल कारक:-(1) समय-प्राधिकरण एवं मूल्यांकन अपेक्षाएँ-नोबेल शांति पुरस्कार बहुत ही जटिल मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरता है, और अक्सर विजेताओं को उन संघर्षों में सचमुच परिणाम दिखाने होते हैं। सिर्फ दावे या घोषणाएँ पर्याप्त नहीं होती। यदि कोई राजनीतिक नेता अभी भी अपने कार्यकाल में हो और विवाद या संघर्ष की स्थिति में हो,तो उसके लिए “शांति निर्माण” को सिद्ध करनाआसान नहीं है। ट्रम्प के कई नीतिगत और राजनीतिक निर्णय विवादास्पद रहे हैं,और विरोधी उनकी नीतियों को आलोचना करते हैं,यह नोबेल समिति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। (2) नॉर्वेजियन नोबेल समिति की निष्पक्षता एवं विवाद-नोबेल शांति पुरस्कार की निर्णय प्रक्रिया नॉर्वे की सामजिक,राजनीतिक व नैतिक चुनौतियों से प्रभावित हो सकती है। ट्रम्प जैसे व्यक्तित्व को पुरस्कार देना समिति के लिए विवादास्पद हो सकता है, आलोचनाएँ होंगी कि क्या यह चयन मानदंडों पर खरा उतरता है?इस तरह की आलोचनाएँ पहले भी अन्य राजनीतिक नेताओं को दिए गए शांति पुरस्कारों के बाद हुई हैं। (3) लोकप्रिय मत और वैयक्तिक छवि-अमेरिकी जनता तथा अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में ट्रम्प के प्रति विचार मिश्रित हैं। एक हालिया मीडिया में आई पोल में 76 पर्सेंट अमेरिकियों ने कहा कि ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं चाहिए। इसके अलावा, नोबेल समिति ज्यादातर उनके कार्यों और स्थिर शांति योगदानों को देखेगी,यदि कई विवादों या आलोचनाओं के कारण उनका छवि नकारात्मक है, तो यह उनकी संभावना को कमजोर कर सकता है। (4) समय और उपलब्धता-कई नामांकन ट्रम्प के लिए देर हो चुके हैं जैसे कि 2025 के लिए नामांकन की आखिरी तारीख के बाद प्राप्त नामांकन अगले वर्ष के लिए विचार की जाएंगी। इस प्रकार, कुछ दावों और मध्यस्थता प्रयासों को तत्काल प्रभाव दिखाना मुश्किल हो सकता है।
अतः अगर हम उपयोग पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि क्या वास्तविक संभावना:-ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की संभावना न तो शून्य है और न ही असीम। यदि वह विश्व स्तरपर शांति-निर्माण और संघर्ष-समाधान की ऐसी परियोजनाओं में सहभागी रहे हैं जिनका मापनीय सकारात्मक परिणाम हो,और यदि समिति उन्हें इस दिशा में देखे, तो यह संभव हो सकता है,लेकिन इसे बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।मौजूदा संकेत- नामांकन, मीडिया चर्चा और सट्टेबाज़ी संकेत,ये दिखाते हैं कि ट्रम्प को इस वर्ष के शांति पुरस्कार विजेताओं की सूची में गंभीर दावेदार नहीं माना जा रहा है। पुरस्कार समिति की गुप्त प्रक्रिया, राजनीतिक विमर्श, आलोचनाएँ और मूल्यांकन मानदंड इसे आसान नहीं बनने देगी।
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *