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नोबेल पुरस्कार 2024 का आगाज़-7 से 14 अक्टूबर के बीच विज्ञान अर्थशास्त्र साहित्य व शांति पुरस्कारों की घोषणा शुरू 

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नोबेल पुरस्कार की स्थापना 1901 से छह श्रेणियां में 603 नोबेल पुरस्कारों के 962 प्राप्तकर्ताओं में 10 भारतीय होना ग़र्व की बात

 

पूरी दुनियाँ की नज़रें 6 श्रेणियां क़े नोबेल पुरस्कारों पर टिकी -चिकित्सा नोबेल में दो अमेरिकी वैज्ञानिकों ने तो भौतिक विज्ञान में इन्होंने बाजी मारी-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर सबसे प्रतिष्ठित दुर्लभ पुरस्कारों की श्रेणी में नोबेल पुरस्कार आता है, जिसे पाने के लिए हर योग्य व्यक्ति ही नहीं बल्कि हर देश को लालसा होती है कि उन्हें या उनके नागरिकों को यह पुरस्कार मिले।जिस तरह से भारत वर्तमान समय में हर क्षेत्र में सफलताओं के झंडे गाढ़ रहा है, उससे यह कयास लगाना लजमीं है कि आने वाले वर्षों में छह क्षेत्रों में भारत का नाम भी नोबेल पुरस्कार में शामिल होगा, जिस तेजी से भारत के नॉमिनेशन आ रहे हैं संभावना है कि आने वाले वर्षों में इसका नतीजा सकारात्मक दिखे।नोबेल पुरस्कार संबंधी सर्वेक्षण टीम हर वर्ष भारत आती है। चूंकि अभी 7 से 14 अक्टूबर 2024 तक नोबेल पुरस्कारों केविजेताओं की घोषणाओं का क्रम शुरू है जिसमें 7 अक्टूबर को चिकित्सा, 8 को भौतिकी क्षेत्र में विजेताओं की घोषणा हो चुकी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत के बढ़ते विकास और बौद्धिक क्षमता से भविष्य में नोबेल पुरस्कारों के छह क्षेत्रों में उपस्थिति दर्ज़ कराने की संभावना का हौसला रखना ज़रूरी है।

साथियों बात अगर हम नोबेल पुरस्कार 7 से 14 अक्टूबर2024 की करें तो, 7 अक्टूबर से शुरू हो चुका है: 2024 के विजेताओं के लिए उत्सुकता बढ़ रही है।नोबेल फाउंडेशन ने घोषणाओं का कार्यक्रम जारी कर दिया है, जो एक सप्ताह की अवधि में पूरा होगा।चयनित पुरस्कार विजेता इतिहास के कुछ सबसे प्रभावशाली विचारकों और नवप्रवर्तकों की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे, जिनके काम को मानवता पर उनके गहन प्रभाव के लिए मान्यता दी गई है।इसके बाद बुधवार, 9 अक्टूबर को रसायन विज्ञान पुरस्कार की घोषणा की जाएगी, पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा भारतीय समयानुसार 3:15 बजे घोषित किए।स्वीडिश अकादमी गुरुवार, 10 अक्टूबर को 13:00 सीईएसटी पर साहित्य पुरस्कार विजेता की घोषणा करेगी। नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा तय किया गया बहुप्रतीक्षित शांति पुरस्कार शुक्रवार, 11 अक्टूबर को दोपहर 2:30 बजे आईएसटी पर ओस्लो में घोषित किया जाएगा। घोषणाओं के अंत में सोमवार,14 अक्टूबर को दोपहर 3:15 बजे भारतीय समयानुसार अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार की घोषणा की जाएगी, जो रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा प्रदान किया जाएगा।सभी घोषणाएं नोबेल पुरस्कार की आधिकारिक वेबसाइट और डिजिटल चैनलों पर लाइव स्ट्रीम की जाएंगी, जिससे वैश्विक दर्शक इन महत्वपूर्ण अवसरों को वास्तविक समय में देख सकेंगे।वैज्ञानिक और सांस्कृतिक समुदाय इन घोषणाओं की तैयारी कर रहे हैं, नोबेल पुरस्कार अपने-अपने क्षेत्रों में उपलब्धियों के शिखर का प्रतिनिधित्व करना जारी रखते हैं। चुने गए पुरस्कार विजेता इतिहास के कुछ सबसे प्रभावशाली विचारकों और नवप्रवर्तकों की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे, उनके काम को मानवता पर उनके गहन प्रभाव के लिए मान्यता दी जाएगी।

साथियों बात अगर हम 7 अक्टूबर को घोषित चिकित्सा नोबेल को दो अमेरिकीवैज्ञानिकों के नाम की करेंतो,कौन हैं साइंटिस्ट विक्टर एम्ब्रोस?इनका जन्म 1953 में हनोवर, न्यू हैम्पशायर, यूएसए में हुआ था, उन्होंने 1979 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), कैम्ब्रिज, एमए से पीएचडी प्राप्त की, जहां उन्होंने 1979 -1985 तक पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च भी किया। वह 1985 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कैम्ब्रिज, एमए में प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर रह चुके हैं। वह 1992-2007 तकडार्टमाउथ मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर थे और अब वे यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल, वॉर्सेस्टर,एमए में नेचुरल साइंस के सिल्वरमैन प्रोफेसर हैं।कौन हैं गैरी रुवकुन?इनका जन्म 1952 में बर्कले, कैलिफोर्निया, यूएसए में हुआ था, उन्होंने 1982 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी प्राप्त की, वे 1982-1985 तक मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), कैम्ब्रिज, एमए में पोस्टडॉक्टरल फेलो थे, वह 1985 में मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर बने, जहां वे अब जेनेटिक्स के प्रोफेसर हैं।

साथियों बात अगर हम नोबेल पुरस्कार पानें में भारत की स्थिति की करें तो, यहां अलग-अलग वर्ग में कुल 10 लोग नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं। इनमें रविंद्र नाथ टौगोर को साहित्य के लिए, विज्ञान के लिए सर चंद्रशेखर वेंकट रमन को, इलेक्ट्रॉन पर काम करने वाले हर गोबिंद खुराना को, मानव सेवा के लिए मदर टेरेसा को, भौतिकी यानी फिजिक्स के लिए सुब्रमण्यन चंद्रशेकर को, अर्थशास्त्र के लिए अमर्त्य सेन को, सर विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल को, रसायन विज्ञान के लिए ​वेंकटरमण रामकृष्णन को, ​मजदूरों के बच्चों को शिक्षा के लिए कैलाश सत्यार्थी को और गरीबी हटाने के लिए अभिजीत विनायक बनर्जी को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।

साथियों बात अगर हम नोबेल पुरस्कार विजेताओं में वैश्विक स्थिति की करें तो, भारत को अमेरिका की तुलना में काफी कम बार नोबेल पुरस्कार मिला है।इस बारभारत को विनर लिस्ट में शामिल किया जाएगा या नहीं, इसके बारे में अपडेट लिस्ट घोषणा होने के बाद ही मिलेगा फरवरी 2021 तक आर्थिक विज्ञान में पुरस्कार सहित कुल  603  बार पुरस्कार दिए जा चुके हैं कुल 962 व्यक्तियों और 28 संगठनों को यह पुरस्कार मिला है। कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें दो या इससे अधिक बार यह मिला है। व्यक्तिगत रूप से सबसे ज्यादा नोबेल पुरस्कार जीतने वालों में क्यूरी फैमिली का नाम आता है। वहीं देश की बात करें तो संयुक्त राज्य अमेरिका 368 के साथ पहले नंबर पर, यूके 132 के साथ दूसरे नंबर पर और फ़िर जर्मनी 107 के साथ तीसरे नंबर पर है।1901 से अब तक कुल 57 महिलाओं को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पहली मैरी क्यूरी थीं और उन्होंने यह पुरस्कार दो बार जीता, यह एक से अधिक बार जीतने वाली एकमात्र महिला थीं।

साथियों बात अगर हम नोबेल पुरस्कार वितरण कीजटिल प्रक्रिया की करें तो, नोबेल पुरस्कारों की प्रस्तावना चयन और पाने के लिए संपूर्ण प्रक्रिया होती है, जिसकी कार्यवाही लगभग एक वर्ष पूर्व ही प्रारंभ कर दी जाती है। जिस वर्ष के लिए नोबेल पुरस्कार होता है, उसके पूर्व वर्ष के सितंबर माह में नोबेल पुरस्कार की प्रस्ताव के लिए प्रपत्र भेज दियाजाता है, जिसमें नाम प्रस्तावित करने होते हैं जो प्रस्तावित वर्ष के फरवरी माह में नाम के प्रस्ताव पर प्रस्तावित समिति से मांगे जाते हैं। मार्च से मई तकप्रत्येक विषय के लिए विशेषचयन समिति का गठन कर दिया जाता है, जो जून से अगस्त तक अपनी रिपोर्ट तैयार करते हैं, जो 5 से 6 पराग्राफ में होती है सितंबर माह में रिकॉर्ड रिपोर्ट अल्फ्रेड ट्रायल स्वीडिश विज्ञान अकादमी को सौंप दी जाती है। बता दें केवल जीवित व्यक्तियों को ही नोबेल पुरस्कार के लिए चुना जाता है परंतु चयन के बाद अगर चयनित प्रत्याशी की मृत्यु हो जाती है तो पुरस्कार दिया जा सकता है। नोबेल पुरस्कारों के विजेताओं की घोषणा अक्टूबर माह में की जातीहै जो मेडिसिन, भौतिक केमिस्ट्री साइकोलॉजी, साहित्य, शांति और इकोनामिक साइंस के क्षेत्र में योग्य व्यक्तियों को दिया जाता है फिर पुरस्कारों के लिए प्रतिवर्ष सेल्फ ट्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसंबर को विजेताओं को पुरस्कार के रूप में एक स्वर्ण पदक एक प्रमाण पत्र और चार करोड़ से अधिक की धनराशि दी जाती है। नोबेल पुरस्कार विजेता एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रमों में नोबेल समिति के अतिथि होते हैं। प्रस्ताव के नामों को पूर्णतया गुप्त रखा जाता हैं, ताकि कोई उन्हें प्रभावित करने का प्रयास न कर सके। प्रस्ताव में रॉयल स्वीडिश विज्ञान अकादमी के सदस्य, विषय के पूर्व नोबेल विजेता, स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड तथा नार्वे के विश्वविद्यालय व केरोस्का संस्थान स्टॉकहोल में नियुक्त स्थाई सहायक प्रोफेसर तथास्वीडिश मिशन एकेडमी द्वारा स्वीकृत अन्य लोग सम्मिलित होते हैं, इसके अतिरिक्त कोई अन्यकिसी नाम का प्रस्ताव नहीं कर सकते प्रस्तावित नाम के संबंध में किसी भी प्रकार की सूचना 50 वर्षों तक किसी भी प्रकार से किसी को भी नहीं दी जा सकती। नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन कोई भी वो व्यक्ति कर सकता है जो इसके नामांकन मानदंडों को पूरा करता है। नामांकन भरने के लिए निमंत्रण पत्र की जरूरत नहीं है।नॉर्वेजियन नोबेल समिति नामांकन किए गए लोगों में से नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं का चयन करती है। 1 फरवरी से पहले नामांकन भेजा जा सकता है, इसके बाद समिती इन नामों पर चर्चा करती है और फरवरी से मार्च महीने के बीच एक लिस्ट तैयार की जाती है।चयन, समिति के सभी सदस्यों के वोटिंग के आधार पर होती है।इसके बाद विजोताओं के नाम की घोषणा होती है। दिसंबर में उन्हें पुरस्कार दिया जाता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नोबेल पुरस्कार 2024 का आगाज़-7 से 14 अक्टूबर के बीच विज्ञान अर्थशास्त्र साहित्य व शांति पुरस्कारों की घोषणा शुरू नोबेल पुरस्कार की स्थापना 1901 से छह श्रेणियां में 603 नोबेल पुरस्कारों के 962 प्राप्तकर्ताओं में 10 भारतीय होना ग़र्व की बात।पूरी दुनियाँ की नज़रें 6 श्रेणियां क़े नोबेल पुरस्कारों पर टिकी-चिकित्सा नोबेल में दो अमेरिकी वैज्ञानिकों ने तो भौतिक विज्ञान में इन्होंने बाजी मारी।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभक़ार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

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