सांसद संजीव अरोड़ा मंत्रियों से मिले और उवके प्रयास रंग लाए
लुधियाना 20 दिसंबर। देश में मेडिकल एजुकेशन की गुणवत्ता बढ़ाने को सांसद संजीव अरोड़ा के अथक प्रयासों से अहम सफलता मिली है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने 19 दिसंबर, 2024 को जारी अधिसूचना से एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए 150 सीटों की ऊपरी सीमा समाप्त कर दी है।
एमपी अरोड़ा के मुताबिक यह ऐतिहासिक निर्णय कॉलेजों को उनके बुनियादी ढांचे के आधार पर अतिरिक्त सीटों के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने जुलाई में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और पिछले साल दिसंबर में तत्कालीन मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से भी मुलाकात की थी। उन्होंने विया दोनों को पत्र लिखकर कहा था कि सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए 150 एमबीबीएस सीटों की सीमा है। इसमें अस्पष्टता है, क्योंकि इतिहास वाले मेडिकल कॉलेज नए अस्पतालों के समान लीग में नहीं हो सकते हैं। लिहाजा पुराने मेडिकल कॉलेजों को तब तक अधिक एमबीबीएस सीटों के लिए पात्र होना चाहिए, जब तक वे बुनियादी ढांचे के मानदंडों को पूरा करते हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति के सदस्य बतौर सांसद अरोड़ा इस बदलाव को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मेडिकल एजुकेशन में सुधार के लिए उनके समर्पण को संसद में क्वालिटी ऑफ मेडिकल एजुकेशन इन इंडिया पर केंद्रित रिपोर्ट में भी रेखांकित किया गया। इस रिपोर्ट में एमबीबीएस सीटों की सीमा समाप्त करने की सिफारिश की गई थी।
अरोड़ा ने कहा कि विविध जनसंख्या और भूगोल वाले इस विशाल देश की बढ़ती स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को देखते हुए भारत में मेडिकल एजुकेशन की गुणवत्ता का आकंलन सर्वोपरि हो गया है।
अरोड़ा ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़ी मेडिकल एजुकेशन सिस्टम में से एक है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 2023-24 में इस अध्ययन के समय देश में 702 मेडिकल कॉलेज थे। हालांकि, भारत में मेडिकल एजुकेशन की गुणवत्ता में व्यापक रूप से भिन्नता है, और इस प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से सबसे प्रमुख है मेडिकल कॉलेजों का असमान वितरण होना है। भारत में मेडिकल कॉलेज शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में एक शून्यता पैदा करता है।
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