एनआईटीएमए ने एमईजी पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी रोकने के लिए सरकार से की मांग, उद्योग पर पड़ेगा बुरा प्रभा‌व

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उत्तरी भारत वस्त्र मिल संघ (एनआईटीएमए) ने हाल ही में वस्त्र मंत्रालय और रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) उद्योग में मोनो एथिलीन ग्लाइकॉल (एमईजी) पर प्रस्तावित एंटी-डंपिंग शुल्क (एडीडी) के खिलाफ कड़ा विरोध जताया। एनआईटीएमए ने चेतावनी दी है कि यह कदम एमएसएमई आधारित डाउनस्ट्रीम उद्योग के लिए विनाशकारी साबित होगा और लाखों लोगों के रोजगार को खतरे में डाल सकता है।
एमईजी पॉलिएस्टर स्टेपल फाइबर (पीएसएफ), यार्न, फिलामेंट, फैब्रिक और परिधानों के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है। प्रस्तावित शुल्क से इसकी कीमत में लगभग 20 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है, जिससे कई एमएमएफ इकाइयों को बंद होना पड़ेगा। पहले से ही बीआईएस के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश और उच्च कच्चे माल की कीमतों के कारण उद्योग दबाव में है।

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शुल्क लागू होने पर रोजगार में भारी गिरावट, निर्यात प्रतिस्पर्धा में कमी, निवेश में देरी और उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में बढ़ोतरी जैसी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होंगी। विशेष रूप से एमएसएमई क्षेत्र प्रभावित होगा और कुछ बड़े एमईजी उत्पादक ही लाभान्वित होंगे।भारत अपनी एमईजी खपत का बड़ा हिस्सा आयात पर निर्भर करता है, इसलिए घरेलू आपूर्ति सीमित है। उद्योग ने मीडिया में फैल रहे प्रो-ड्यूटी दावों को खारिज करते हुए कहा कि एमएसएमई पर इसका बोझ अत्यधिक होगा और नियोजित निवेश में देरी होगी।

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