एसोसिएशन का ज्वाइंट-डेलीगेशन इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्रियों गिरीराज सिंह, पीयूष गोयल से मिला, अहम चर्चा
लुधियाना 1 अक्टूबर। नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन यानि एनआईटीएमए ने सिंथेटिक बुने हुए कपड़ों पर न्यूनतम आयात मूल्य लागू करने की सराहना की है। इस मामले में एनआईटीएमए के अध्यक्ष संजय गर्ग की अगुवाई में एसोसिएशन का डेलीगेशन केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह और केंद्रीय वाणिज्य-उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मिला।इस मौके पर एसोसिएशन के डेलीगेशन ने दोनों संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों की एमआईपी के विस्तार के लिए प्रशंसा की।
प्रेसिडेंट गर्ग ने कहा कि सिंथेटिक बुने हुए कपड़ों के कुल 13 विशिष्ट एचएसएन कोड पर न्यूनतम आयात मूल्य यानि एमआईपी लगाना सराहनीय कदम है। सिंथेटिक बुने कपड़ों के 8 नए एचएसएन कोड हैं। अब कुल 13 कोड एमआईपी के तहत हैं। डीजीएफटी ने अपनी अधिसूचना ने सिंथेटिक बुने हुए कपड़ों के उक्त एचएस कोड पर 3.50 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम का न्यूनतम आयात मूल्य लगाया, जो इसी 15 सितंबर से 31 दिसंबर 2024 तक प्रभावी होगा।एनआईटीएमए के अध्यक्ष संजय गर्ग के नेतृत्व में संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से बुने हुए कपड़ों पर एमआईपी लगाने, विस्तार के मुद्दे पर कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह के साथ सार्थक बैठक की। इस दौरान रोहित कंसल, अतिरिक्त सचिव और श्रीमती शुभ्रा, व्यापार सलाहकार की भी उपस्थिति रही।
एनआईटीएमए अध्यक्ष ने उल्लेख किया कि एनआईटीएमए ने अन्य व्यापार निकायों जैसे ऑल इंडिया निटर एसोसिएशन-मुंबई, पंजाब डायर एसोसिएशन और सूरत के अन्य सम्मानित हितधारकों के साथ मिलकर कम कीमत वाले आयातित बुने कपड़े के महत्वपूर्ण मुद्दे को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया। पिछले वर्ष के दौरान सभी संबंधित मंत्रालयों के साथ इसे लेकर संपर्क में रहे। गर्ग ने घरेलू उद्योग को आगाह किया कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, क्योंकि ये बेईमान संस्थाएं निश्चित रूप से अध्याय 60 के तहत अपने आयात को अन्य एचएस कोड में बदलने का प्रयास करेंगी। उन्होंने ना केवल अध्याय 60 के तहत, बल्कि उससे आगे भी सिंथेटिक बुने हुए कपड़ों के आयात की बारीकी से निगरानी करके घरेलू उद्योग को सतर्क रहने और लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उपाय इन 13 एचएस कोड्स द्वारा कवर किए कम मूल्य वाले सिंथेटिक बुने कपड़ों के आयात को प्रभावी ढंग से प्रतिबंधित करेगा। इससे घरेलू उद्योग को बहुत जरूरी राहत मिलेगी, जो पहले से ही महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है।
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