चंडीगढ़ 17 नवंबर। बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद, जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार गुरुवार को राज्य की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। सूत्रों के अनुसार, इस कार्यक्रम की योजना एनडीए की एक बड़ी ताकत के रूप में बनाई जा रही है और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों और एनडीए शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की संभावना है। पटना प्रशासन ने इस भव्य आयोजन की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं और प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा के लिए ज़िले के शीर्ष प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई है। इस महीने की शुरुआत में हुए दो चरणों के विधानसभा चुनावों में एनडीए गठबंधन ने भारी जीत हासिल की थी। एनडीए की सीटों की संख्या 202 तक पहुँच गई, जिसमें भाजपा ने 89 और जदयू ने 85 सीटें जीतीं। चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) ने 19 सीटें जीतकर एनडीए में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
नई सरकार में लोजपा को मिल सकती तीन सीटें
पहले खबरें आई थीं कि नए मंत्रिमंडल में भाजपा को लगभग 15 मंत्री पद मिल सकते हैं, जबकि 14 कैबिनेट पद जदयू विधायकों को मिल सकते हैं। नई नीतीश कुमार सरकार में लोजपा (रामविलास) को तीन सीटें मिल सकती हैं। जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक कैबिनेट पद मिलने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार को एनडीए गठबंधन का नेता चुनने की औपचारिक प्रक्रिया सोमवार पूरी हुई।
10वीं बार लेंगे शपथ
यह दसवीं बार होगा जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। जदयू प्रमुख पहली बार 2005 में मुख्यमंत्री बने थे और उन्हें बिहार को विकास के पथ पर लाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का स्थान लिया था।
2014 में दिया था इस्तीफा
नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले व्यक्ति हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में एक छोटा सा अंतराल भी आया था, जब 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने शीर्ष पद छोड़ दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था, जो उस समय उनके करीबी सहयोगी थे और अब उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं।
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