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नगर कौंसिल अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव संबंधी मामले की हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 16 सितंबर

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पार्टियों में हो रही कुर्सी की जंग में शहर का हो रहा नुकसान, जिम्मेदार कौन ,शहर के विकास कार्य हुए ठप

 

जीरकपुर, 1 अगस्त। बीती 28 जून को नगर कौंसिल जीरकपुर के 21 पार्षदों द्वारा नगर कौंसिल अध्यक्ष के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव नगर कौंसिल जीरकपुर के कार्यकारी अधिकारी अशोक पथरिया को दिया गया था। इस अविश्वास प्रस्ताव पर जिन पार्षदों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे उनमें शिरोमणि अकाली दल के 8 पार्षद, भारतीय जनता पार्टी के दो पार्षद, आम आदमी पार्टी के 8 पार्षद तथा कांग्रेस पार्टी के तीन पार्षद शामिल है यह तीन कांग्रेस के पार्षद वह है जिन्होंने पिछले करीब 2 वर्ष में तीन बार अपना पाला बदला है और मौका देखकर एक पार्टी से दूसरी पार्टी की तरफ चले जाते हैं। नगर कौंसिल जीरकपुर के कार्यकारी

 

अधिकारी अशोक पथरिया ने यह अविश्वास प्रस्ताव उसी दिन नगर कौंसिल अध्यक्ष उदयवीर सिंह दिलों को भेज दिया इसके बाद उदयवीर सिंह ढिल्लों ने इस अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में 5 जुलाई को शाम के 3-15 बजे मीटिंग बुलाई जिस मीटिंग में अविश्वास प्रस्ताव लाने वाला कोई भी पार्षद हाजिर नहीं हुआ और ना ही नगर कौंसिल के कार्यकारी अधिकारी इस मीटिंग के समय पर मीटिंग हॉल में पहुंचे लेकिन मीटिंग शुरू होने के 45 मिनट बाद शाम के 4.00 बजे कार्यकारी अधिकारी अशोक पथरिया द्वारा नगर कौंसिल अध्यक्ष उदयवीर सिंह ढिल्लों को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था सही न होने के 5 चलते इस मीटिंग को स्थगित करने के लिए कहा लेकिन काउंसिल अध्यक्ष ने उदयवीर सिंह ढिल्लों द्वारा अपने साथी पार्षदों के साथ मीटिंग करके इस

 

मीटिंग की सारी कार्रवाई रजिस्टर में दर्ज करके नगर कौंसिल जीरकपुर के कार्यकारी अधिकारी को भेज दी गई और इस मीटिंग दौरान उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव को रद्द कर दिया था। यहां पर यह बात भी जिक्र योग्य है के नगर कौंसिल जीरकपुर के अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई मीटिंग में पत्रकारों के बैठने के लिए भी पुख्ता प्रबंध किए गए थे।

 

इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले विपक्षी पार्षदों द्वारा 12 जुलाई को नगर कौंसिल जीरकपुर के कार्यकारी अधिकारी को एक पत्र लिखकर 15 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव संबंधी विशेष मीटिंग बुलाने के लिए एक पत्र लिखा और हलका विधायक तथा कार्यकारी अधिकारी की उपस्थिति में एक गुप्त मीटिंग की गई। इस मीटिंग दौरान क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और पत्रकारों को इस मीटिंग में जाने की अनुमति नहीं दी गई जिसके चलते पत्रकारों द्वारा नगर काउंसिल दफ्तर के बाहर जमीन पर बैठकर रोष प्रदर्शन भी किया गया और यह भी पूछा गया कि मीटिंग में ऐसा क्या होने वाला है जिसको पत्रकारों से छुपाया जा रहा है। इस मीटिंग में शामिल पार्षदों तथा विधायक द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पास करते हुए नगर कौंसिल अध्यक्ष को अध्यक्ष पद से उतरने की घोषणा की गई। दूसरी ओर नगर कौंसिल अध्यक्ष उदयवीर सिंह ढिल्लों द्वारा उसी दिन माननीय हाईकोर्ट में इस मीटिंग को लेकर स्टे ले ली गई। उस दिन माननीय हाई कोर्ट द्वारा नगर कौंसिल में हुई दोनों मीटिंग संबंधी रिकॉर्ड पेश करने के आदेश देते हुए डिप्टी कमिश्नर मोहाली को नगर कौंसिल जीरकपुर का प्रशासक नियुक्त कर दिया गया और मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होनी तय हो गई थी। 22 जुलाई को हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर हुई सुनवाई

 

दौरान अपने 15 जुलाई के फैसले को बरकरार रखते हुए नगर कौंसिल के प्रशासक का कार्यकाल 1 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। आज 1 अगस्त को फिर से इस मामले की सुनवाई माननीय हाईकोर्ट में हुई। जिस दौरान हाई कोर्ट में पूरे जवाब दावे पेश न होने के चलते माननीय अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 16 सितंबर तय कर दी है।

 

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अगर नगर कौंसिल अध्यक्ष को उतार कर स्थाई तौर पर प्रशासक लगाया गया तो पार्षदों के हाथ हो जाएंगे खाली

यहां पर यह बात भी जिक्र योग्य है कि अब मामला अदालत में होने के चलते अदालत द्वारा डिप्टी कमिश्नर मोहाली को नगर कौंसिल जीरकपुर का प्रशासक लगा दिया गया है और अगर अदालत से फैसला नगर कौंसिल अध्यक्ष के विरोध में आता है और अविश्वास प्रस्ताव को अदालत में मान्यता दे दी जाती है तो नगर कौंसिल पूर्ण रूप से प्रशासक के अधीन आ जाएगी क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पार्षदों ने मीडिया के सामने यह बात खुलकर रखी है कि वह नगर कौंसिल अध्यक्ष को कुर्सी से उतारने के लिए इकट्ठे हुए हैं ना कि अपना अध्यक्ष बनने के लिए। जिससे नगर कौंसिल की सारी शक्तियां प्रशासक के पास होगी और पार्षदों के हाथ बिल्कुल खाली हो जाएंगे। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार होने के चलते इस हल्का डेराबस्सी के विधायक भी आम आदमी पार्टी के हैं तो हलका विधायक के दोनों हाथों में लड्डू आने वाली बात हो जाएगी। क्योंकि अध्यक्ष की सीट खाली होने के बाद नगर कौंसिल में जो प्रशासक अथवा हलका विधायक चाहेंगे वही होगा और कोई भी पार्षद उसमें दखल नहीं दे सकेगा। जिससे शहर के पार्षदों को नुकसान होने से इनकार नहीं किया जा सकता और वह पार्षद से पूर्व पार्षद बनकर रह जाएंगे।

 

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नगर कौंसिल अध्यक्ष की कुर्सी की लड़ाई में हो रहा है शहर निवासियों का नुकसान

पिछले करीब डेढ़ महीने से नगर कौंसिल जीरकपुर में चल रही कुर्सी की जंग के दौरान नुकसान सिर्फ शहर निवासियों का ही हो रहा है, क्योंकि शहर में सभी विकास कार्य ठप हो गए हैं। ऊपर से बरसात का मौसम शुरू हो रहा है जिससे लोगों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी पार्टियों के पार्षदों ने जैसे विकास के मुद्दे को लेकर एकजुट होकर अध्यक्ष को उतारने के लिए अविश्वास प्रस्ताव दिया है, तो क्या अगला अध्यक्ष बनाने के लिए भी वह पार्षद एकजुट होंगे? विपक्षी पार्षदों ने कैमरे के सामने यह बात तो खुलकर कही है के वह सिर्फ नगर कौंसिल अध्यक्ष को कुर्सी से उतारने के लिए इकट्ठा हुए हैं, लेकिन अगला अध्यक्ष किसको बनना चाहते हैं यह अभी तक बुझारत बनी हुई है।

 

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नगर कौंसिल जीरकपुर के अध्यक्ष पद को लेकर मामला माननीय अदालत में है, इसीलिए मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन मुझे अदालत पर पूरा भरोसा है, अदालत का जो भी फैसला आएगा वह खुशी से स्वीकार करूंगा।

उदयवीर सिंह ढिल्लों, अध्यक्ष नगर कौंसिल जीरकपुर।

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