फिरोजपुर एलिवेटेड रोड के साथ पार्किंग स्थलों को मंजूरी देने का भी दिया आदेश हैं केंद्रीय परिवहन मंत्री गडकरी ने
लुधियाना 28 जून। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने बठिंडा-लुधियाना ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट के लिए विभागीय अधिकारियों को फिर से टेंडर जारी करने को कहा है। यहां गौरतलब है कि बीते दिनों ही एनएचएआई ने इस प्रोजेक्ट के लिए जरुरत मुताबिक जमीन एक्वायर न होने की वजह से इसे कैंसिल कर दिया था।
साथ ही केंद्रीय मंत्री गडकरी ने लुधियाना-फिरोजपुर एलिवेटेड रोड के साथ पार्किंग स्थलों को मंजूरी देने का निर्देश भी दिया। हालांकि उन्होंने ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के लिए भूस्वामियों से अपेक्षित भूमि पर कब्जा मिलने में हो रही देरी पर नाराजगी भी जताई। दरअसल शुक्रवार को ही दिल्ली में इन अहम मुद्दों को लेकर लुधियाना से राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा उनसे मिले थे। मुलाकात के बाद उन्होंने यह खुलासा किया।
कई सुझाव दिए चर्चा में : अरोड़ा के मुताबिक मुलाकात के दौरान केंद्रीय मंत्री से उनकी औद्योगिक शहर से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। उनके मुताबिक तत्काल केंद्रीय मंत्री ने मौके पर मौजूद अफसरों को एक्शन लेने के निर्देश दिए। इस दौरान अरोड़ा ने उनसे शहर में एलिवेटेड हाईवे के साथ पार्किंग के निर्माण में तेजी लाने, लुधियाना-रूपनगर ग्रीनफील्ड हाईवे परियोजना को फिर से शुरू करने और दक्षिणी लुधियाना बाईपास ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण का आग्रह किया। उन्होंने मंत्री को बताया कि एलिवेटेड रोड पर पार्किंग की कमी से जाम लगता है। सड़कों के किनारे व्यवसाय करने वालों को भी नुकसान हो रहा है। फिजिबिलिटी स्टडी के मुताबिक सर्विस रोड में पर्याप्त जगह है। ग्रीन एक्सप्रेस-वे को लेकर केंद्रीय मंत्री ने सांसद से कहा है कि वे कलैक्टर से मुआवजा बढ़ाने के लिए नई दरें प्राप्त करें। संसद सत्र के लौटने पर संबंधित डिप्टी कमिश्नर के साथ अरोड़ा इस मुद्दे को उठाएंगे।
कितना महत्वपूर्ण है एक्सप्रेस-वे : लुधियाना के साउदर्न बाइपास एरिया में बनने वाले ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे करीब 956.94 करोड़ रुपये की लागत से 25.24 किलोमीटर लंबा बनना था। इस प्रोजेक्ट का लगभग 80 फीसदी यानि कुल 25.240 किमी में से 19.74 किमी का हिस्सा एनएचएआई को सौंपा जा चुका था। हालांकि अधिग्रहित भूमि का भौतिक कब्ज़ा प्राप्त नहीं मिल सका था। जबकि दो साल बाद भी स्वीकृत मुआवजा राशि का वितरण नहीं हो सका था।
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