नई दिल्ली 30 मार्च : इलेक्टोरल बांड को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है ताजा जानकारी अनुसार सुप्रीम कोर्ट की ओर से इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक करार देने से मात्र 3 दिन पहले ही वित्त मंत्रालय ने 10,000 बॉन्ड की छपाई को मंजूरी दी थी. मंत्रालय की ओर से सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को 1 Cr Rs की मूल्य के 10,000 चुनावी बांड की छपाई के लिए अंतिम मंजूरी दे दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रुकवाई छपवाई
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया कि वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के 15 फरवरी को दिए आदेश के दो सप्ताह बाद 28 फरवरी को भारतीय स्टेट बैंक को इलेक्टोरल बांड की छपाई पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया था. गौरतलब है की सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 10 हजार बॉन्ड की छपाई की मंजूरी 12 फरवरी 2024 को दी गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 27 फरवरी को वित्त मंत्रालय की ओर से एसबीआई और दूसरे लोगों को ईमेल के जरिए चुनावी बॉन्ड की छपाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को लगाई थी फटकार
चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी को यह जानने का पूरा हक है कि राजनीतिक पार्टियों को कहां से चंदा मिल रहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड का डाटा सार्वजनिक करने और चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया था.
चुनाव आयोग ने 14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक करते हुए सारा डेटा दो भागों में अपलोड किया था . पहली लिस्ट में कंपनियों की ओर से खरीदे गए बॉन्ड की जानकारी थी और दूसरी लिस्ट में राजनीतिक पार्टियों की ओर से बॉन्ड भुनाने वाली जमा राशि की जिक्र था.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी कर एसबीआई से पूछा कि उसने चुनावी बांड नंबरों का खुलासा नहीं किया है. कोर्ट ने कहा था कि एसबीआई को यूनीक नंबर का खुलासा करना चाहिए, क्योंकि वह ऐसा करने के लिए बाध्य है.