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नया सियासी-ट्रेंड : जालंधर में केपी बन गए हैं चौधरी के हिमायती, संगरुर में खैहरा बने ढींडसा के हमदर्द

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यह नैतिकता वाली राजनीति या सियासी-दुश्मनों

की लंका में भेदी तैयार करने वाली सियासी-चाल

नदीम अंसारी

लुधियाना 27 अप्रैल। लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान चरम की ओर बढ़ने के साथ पंजाब में सियासी माहौल दिलचस्प होता जा रहा है। यहां नए सियासी-ट्रेंड देखने को मिल रहा है, जिसे राजनीतिक-कलाबाजी भी कह सकते हैं। बीते दिन जालंधर सीट से शिरोमणि अकाली दल-बादल के उम्मीदवार मोहिंदर सिंह केपी ने चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कांग्रेस से निलंबित विधायक बिक्रमजीत चौधरी की खुली हिमायत की।

इधर, संगरुर सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैहरा ने शिअद से खफा वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा की जमकर वकालत कर डाली। सियासी-जानकारों की मानें तो सरसरी तौर पर इसे नैतिकता वाली राजनीति मानकर सराहा जा सकता है। हालांकि चुनावी-माहौल में यह रणनीति के तहत चली जा रही विशुद्ध राजनीतिक-चाल भी कह सकते हैं। मंझे हुए राजनेता इसी सियासी वार के जरिए एक तीर से दो शिकार करने के चक्कर में हैं। खुद जनता की नजर में हक की बात करने वाले साबित होना चाहते हैं। लगे हाथों, इसी सियासी-दांव से विरोधी दल में नाराज नेताओं के प्रति हमदर्दी जता उनको घर के भेदी की तरह साथ मिला अपने सियासी-मंसूबे भी पूरे करना चाहते हैं।

अब जरा गौर करें, खैहरा ने कहां और क्या कहा। दरअसल उन्होंने बरनाला में चुनावी रैली में पहले तो आप सरकार पर कानून-व्यवस्था से जुड़े सवाल उठाए। फिर लगे हाथों शिअद मुखिया सुखबीर बादल पर भी हमला बोला। खैहरा ने ढींडसा-परिवार को चुनाव में टिकट न दिए जाने के मुद्दे पर तंज कसा कि छोटे बादल ने ढींडसा जैसे पार्टी के बड़े नेता को राजनीतिक तौर पर मार डाला। खैहरा ने ढींडसा की तारीफ करते हुए खुलेतौर पर कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का न्यौता भी दे डाला। वह बोले कि ढींडसा के बेटे परमिंदर ढींडसा एक सभ्य और सुलझे हुए नेता हैं। जबकि बादल कभी भी ढींडसा परिवार को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते है।

एक नजर, जालंधर से शिअद उम्मीदवार केपी के बयान पर भी डालें। वह कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं, लिहाजा कांग्रेसी विधायक बिक्रमजीत चौधरी के हक में उनका बोलना मायने रखता

है। केपी ने तो यहां तक कहा कि कांग्रेस ने निष्कासन के मामले में चौधरी पर सियासी ज्यादती की है। वह चौधरी की हिमायत में खुलकर खड़े हैं, क्योंकि कांग्रेस ने उन जैसे पुराने-वफादार

नेता की कद्र नहीं की।

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