मोदी सरकार की नई पारी : राष्ट्र प्रथम का ध्येय और विकसित भारत का संकल्प
डॉ. सुदीप शुक्ल
भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक अवसर रहा जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने श्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार संसदीय दल का नेता चुन लिया। निवृत्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जब एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे, तब तीसरी बार यह दायित्व संभालने वाले दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में इतिहास के पृष्ठों में उनका नाम दर्ज हो जाएगा। शुक्रवार को एनडीए के संसदीय दल की बैठक में सभी घटक दलों के नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताते हुए उनकी खुले तौर पर प्रशंसा की। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्र प्रथम की मूल भावना के साथ विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए यह कार्यकाल महत्वपूर्ण रहने वाला है। उन्होंने कहा कि एनडीए नीत केंद्र सरकार भारत के लोगों के सपनों और संकल्पों को पूरा करने के लिए काम करेगी। उनके इस संबोधन के आलोक में सरकार के आगामी प्रयासों, कार्यों, योजनाओं, आत्मविश्वास और भावनाओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का इतिहास लगभग ढाई दशक पुराना होने जा रहा है। इसी गठबंधन ने प्रधानमंत्री के रूप में श्री अटल बिहारी वाजपेयी और फिर श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दो कार्यकाल में सत्ता संभाली है। संसदीय दल की बैठक में घटक दलों के नेताओं ने जिस प्रकार प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास जताया है वह यह बताने के लिए काफी है कि सरकार निश्चिंत होकर अपना आगामी कार्यकाल और योजनाओं को मूर्तरूप देने का कार्य पूर्ण कर सकेगी।
18 वीं लोकसभा में चुनकर आए नए-पुराने सांसदों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का उद्बोधन ‘वेलकम नोट’ ही नहीं था बल्कि देश-दुनिया को यह संदेश देने वाला भी रहा कि भारत अपनी प्रगति की रफ्तार को किसी भी कीमत पर न तो रोकने जा रहा है और न ही यह कम होगी। उनके उद्बोधन का सारांश यही रहा कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार दिन-रात एक करने वाली है। उन्होंने इस बात को एक बार फिर दोहराया कि सरकार का पिछले 10 वर्षों का कार्यकाल तो सिर्फ ट्रेलर है, मेरा कमिटमेंट तेज गति से काम करना है और देश की आकांक्षाओं को पूरा करने में हमें रत्ती भर भी देर नहीं करना है।
प्रधानमंत्री ने जो प्रमुख बातें कहीं वे स्पष्ट रूप से यह बताती हैं कि भाजपा और घटक दलों के रिश्ते राजनीतिक होने के साथ-साथ और भी गहरे से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि हमारा गठबंधन ऑर्गनिक है और हम राष्ट्र प्रथम की भावना से काम करते हैं। हमारा 10 वर्ष का अनुभव है। हम सबसे मजबूत और विश्वसनीय अलायंस हैं।
चुनावों में मिली सफलता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह एनडीए की महाविजय है। यह दुनिया मानती है। विपक्षियों को लगा था कि हम हार गए लेकिन हम न कभी हारे थे, न हारे हैं और न हारेंगे। दक्षिण में एनडीए ने नई राजनीति की नींव मजबूत की है। तेलंगाना, कर्नाटक में सफलता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भले ही हम तमिलनाडु में सीट नहीं जीत पाए लेकिन जिस प्रकार से वहां गठबंधन का व्यास बढ़ा है उससे स्पष्ट दिख रहा है कि वहां आने वाला कल हमारा है। उन्होंने यह भी विशेष रूप से कहा कि आज पहली बार केरल से हमारा प्रतिनिधि चुनकर आ गया है। आंध्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसे ऐतिहासिक विजय बताया और कहा कि आन्ध्र ने इतना बड़ा जनमत दिया है। भगवान जगन्नाथ को स्मरण करते हुए उन्होंने ओडिशा की विजय को क्रांति बताया। साथ ही कहा कि आने वाले 25 वर्षों में महाप्रभु जगन्नाथ जी की कृपा से विकसित भारत का संकल्प अवश्य पूरा होगा। इसके साथ ही उन्होंने अन्य राज्यों की विजय को भी रेखांकित किया।
अपने संबोधन में श्री मोदी ने विपक्ष पर भी प्रहार किया। ईवीएम संबंधी विवाद पर चुटकी लेने के साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्ष ने ऐसी स्थितियां निर्मित कीं कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर लोगों का भरोसा कम हो जाए लेकिन भारत के लोकतंत्र की शक्ति आज दुनिया के सामने है। यह भी पहली बार हुआ जब विपक्ष ने चुनाव आयोग के काम में बाधा डालने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। यह दुनिया के सामने भारत को बदनाम करने के षड्यंत्र का हिस्सा था। यह चिंता का विषय है कि दुनिया में भारत के लोकतंत्र को, भारत की चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करने का षड्यंत्र विरोधियों द्वारा रचा गया लेकिन अब दुनिया भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया, विविधता, विशालता को जानने के लिए उत्सुक होगी। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव एक ऐसा लोकोत्सव है जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने का प्रयास किया जाता है, तोड़ने का नहीं। उन्होंने करारा प्रहार करते हुए कहा कि चुनाव प्रचार में विरोधियों का चरित्र भी दिखाई दिया, वे राज्यों में आपस में लड़ते रहे और एक-दूसरे की पीठ में छुरा घोंपते रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम विजय को पचाना जानते हैं। हमारे संस्कार ऐसे हैं कि विजय की गोद में उन्माद पैदा नहीं होता, न ही पराजित लोगों का उपहास उड़ाने की विकृति हम में है। यह हमारे संस्कार हैं। लोकतंत्र हमें सबका सम्मान करना सिखाता है, ऐसा कहते हुए उन्होंने विपक्ष से चुनकर आए सांसदों को भी बधाई दी। उन्होंने अपनी सरकार की आगामी योजनाओं को भी देश के समक्ष रखा जिनमें 3 करोड़ लोगों को नए घर देना, 70 साल से अधिक के वृद्धजनों को पांच लाख तक निशुल्क उपचार, नारी सशक्तीकरण, अर्थव्यवस्था को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना, गरीब-मध्य वर्ग को शक्ति बनाना, मध्य वर्ग की बचत बढ़ाना और उनका जीवन स्तर कैसे और बेहतर हो इसके लिए कार्य करने की बात कही।
सार रूप में प्रधानमंत्री ने इस बात को पुन: दोहराया कि भारत माता ही उनका मिशन है। देश के 140 करोड़ लोगों के सपनों को पूरा करना, मुसीबतों से मुक्ति दिलाने के साथ ही विश्व में भारतीयों का मान बढ़ाना ही उनका उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि मेरा पल-पल देश के नाम है, मैं 24 घंटे, सातों दिन उपलब्ध हूं और हमें मिलकर देश को आगे बढ़ाना है। गठबंधन धर्म का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पहले भी एनडीए था, आज भी है और कल भी एनडीए रहेगा।
(विनायक फीचर्स – डॉ. सुदीप शुक्ल लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)