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अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य बुरी प्रवृत्तियों पर काबू पाने का माध्यम है नवरात्र पूजन।

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वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

 

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम चंद्र ने नवरात्र पूजन समुद्र तट पर किया था।

 

कुरुक्षेत्र, 6 अक्तूबर : शारदीय नवरात्रों के पावन अवसर पर श्री जयराम विद्यापीठ की मुख्य यज्ञशाला में सर्वकल्याण की भावना से हवन यज्ञ कर आहुतियां डाली जा रही हैं। श्री जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से नवरात्रों के अवसर पर विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा नियमित दुर्गा सप्तशती पाठ किया जा रहा है। इस मौके पर सामाजिक कुरीतियों तथा दुखों को दूर करने की कामना करते हुए परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्र निश्चित नौ दिन, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की समर्पण भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम चंद्र ने नवरात्र पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। ब्रह्मचारी ने कहा कि मनुष्य जब अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है। उन्होंने बताया कि नवरात्र अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य बुरी प्रवृत्तियों पर काबू पाने का माध्यम है।

जयराम में पूजन करते हुए।

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