न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन:।काक: सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति।।आओ निंदा त्यागने का संकल्प लें

न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन:।काक: सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति।।आओ निंदा त्यागने का संकल्प लें

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

जब हम किसी और पर आरोप लगाते हैं,तो हमको अपनी गलतियों पर आत्म-चिंतन, जवाबदेही परभी विचार करना चाहिए।

 

हम एक उंगली दूसरे पर उठाते हैं तो तीन उंगलियां हमारे ऊपर उठती है इस को रेखांकित करना ज़रूरी

 

हम खुद का आंकलन दूसरे से श्रेष्ठ करने की चूक से बचें स्वयं को छोटा कहलाने वाला व्यक्ति सबसे श्रेष्ठ गुणवान होता है – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया – सृष्टि में खूबसूरत मानवीय जीव की रचना कर रचनाकर्ता नें उसमें गुण और अवगुण रूपी दो गुलदस्ते भी जोड़े हैं और उनका चयन करने के लिए 84 लाख़ योनियों में सर्वश्रेष्ठ बुद्धि का सृजन मानवीय योनि में कर अपने भले बुरे सोचनें का हक उसी को दिया है,परंतु हम अपनीं जीवन यात्रा में देखते हैं कि मानवीय जीव अवगुण रूपी गुलदस्ते का चुनाव खुद कर उसमें ढल जाता है और अंत में दोष सृष्टि रचनाकर्ता को ही देता है कि मेरे जीवन को नरक बना दिया जबकि गलती मानवीय जीव की ही है कि उसने ही अपनी बुद्धि से उस अवगुण रूपी गुलदस्ते को चुना!मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि कहावत “जब हम एक उंगली उठाते हैं, तो तीन उंगलियां हमारी ओर इशारा करती हैं” अक्सर आत्म-चिंतन और जवाबदेही के विचार से जुड़ी होती है। यह वाक्यांश बताता है कि जब हम किसी और पर आरोप लगाते हैं या दोष देते हैं,तो हमको उस स्थिति में अपनी गलतियों या योगदानों पर भी विचार करना चाहिए।हालांकि इस कहावत की सटीक उत्पत्ति स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह विभिन्न सांस्कृतिक और दार्शनिक परंपराओं में पाए जाने वाले विषयों को समाहित करती है।यह प्रक्षेपण के बारे में मनोविज्ञान की अवधारणाओं के साथ संरेखित है, जहां व्यक्ति अपने अवांछनीय गुणों या व्यवहारों को दूसरों पर आरोपित करते हैं। उंगलियों की छवि यह दर्शाती है कि आलोचना अक्सर आलोचना के विषय की तुलना में आलोचक के बारे में अधिक दर्शाती है।इस वाक्यांश की खूबसूरती यह है कि यह किसी और को दोष देने के बजाय आत्मनिरीक्षण करने पर मजबूर करता है।यूं तो अवगुणों को सैकड़ों शब्दों, बुराइयों से पुकारा जाता है जिसमें आज हम निंदा बुराई, दूसरों पर उंगली उठाना इस अवगुण की चर्चा कर करेंगे आओ निंदा रूपी अवगुण त्यागने का संकल्प लें।हम खुद का आंकलन दूसरे से श्रेष्ठ करने की चूक से बचें स्वयं को छोटा कहलाने वाला व्यक्ति सबसे श्रेष्ठ गुणवान होता है।

साथियों बात अगर हम निंदा की करें तो किसी ने खूब ही कहा है कि, संसार में प्रत्येक जीव की रचना ईश्वर अल्लाह ने किसी उद्देश्य से की है। हमें ईश्वर अल्लाह की किसी भी रचना का मखौल उड़ाने का अधिकार नहीं है।इसलिए किसी की निंदा करना साक्षात परमात्मा की निंदा करने के समान है।किसी की आलोचना से आप खुद के अहंकार को कुछ समय के लिए तो संतुष्ट कर सकते हैं किन्तु किसी की काबिलियत, नेकी, अच्छाई और सच्चाई की संपदा को नष्ट नहीं कर सकते। जो सूर्य की तरह प्रखर है, उस पर निंदा के कितने ही काले बादल छा जाएं किन्तु उसकी प्रखरता, तेजस्विता और ऊष्णता में कमी नहीं आ सकती।

साथियों बात अगर हम खुद का आंकलन दूसरों से सर्वश्रेष्ठ करने की करें तो, अपनी प्रशंसा तथा दूसरों की निंदा असत्य के समान है। जैसे हमारी आंखें चंद्रमा के कलंक तो देख लेती हैं , किंतु अपने काजल को नहीं देख पातीं। उसी प्रकार हम दूसरों के दोषों को देखते हैं , हालांकि खुद अनेक दोषों से भरे हैं। दूसरों में जो दोष दिखाई देते हैं , सचमुच उनका कारण हमारे अपने चित्त की दूषित वृत्तियां ही है। दूसरों की निंदा किसी भी दृष्टि से हितकर नहीं होती। इस संबंध में एक कवि ने लिखा भी है कि  हमें परखने का तरीका नहीं है। कोई वरना दुश्मन किसी का नहीं है। निंदक को यह याद रखना चाहिए कि दुनिया तुझे हजारों आंखों से देखेगी , जबकि तू दुनिया को दो ही आंखों से देख सकेगा।

साथियों बात अगर हम दूसरों पर एक उंगली उठाने की करें तो, जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे के दोषों पर उंगली उठाता है , तो उसे याद रखना चाहिए कि पीछे की और मुड़ी उसकी तीन उंगलियां पहले उसी की ओर संकेत कर रही होती हैं। निंदा- चुगली व्यर्थ ही है। इससे परस्पर वैमनस्य , कटुता और संघर्ष बढ़ते हैं। इसीलिए कहा है कि दूसरों के कृत्याकृत्यों को न देखो , केवल अपने ही कृत्यों का अवलोकन करो। यूं तो लोग चुप रहने वाले की निंदा करते हैं। बहुत बोलने वाले की निंदा करते हैं ,मातृ भाषी की निंदा करते हैं , संसार में ऐसा कोई नहीं है , जिसकी निंदा न होती हो, इसीलिए कहा है- जैसी जाकी बुद्धि है , तैसी कहै बनाय। ताको बुरा न मानिए , लेन कहां यूं जाए। ‘ केवल दूसरों द्वारा अपनी निंदा सुनकर मनुष्य अपने को निंदित न समझें , वह अपने आप को स्वयं ही जाने , क्योंकि लोक तो निरंकुश है , जो चाहता है सो कह देता है। द्वेषी गुणं न पश्यति , दोषी गुणों को नहीं देखता।

साथियों बात अगर हम पर निंदा में आनंद की करेंतो परनिंदा में प्रारंभ में काफी आनंद मिलता है लेकिन बाद में निंदा करने से मन में अशांति व्याप्त होती है और हम हमारा जीवन दुःखों से भर लेते हैं। प्रत्येक मनुष्य का अपना अलग दृष्टिकोण एवं स्वभाव होता है। दूसरों के विषय में कोई अपनी कुछ भी धारणा बना सकता है। हर मनुष्य का अपनी जीभ पर अधिकार है और निंदा करने से किसी को रोकना संभव नहीं है। न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन: काक:सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति।। अर्थ-लोगों की निंदा (बुराई) किये बिना दुष्ट (बुरे) व्यक्तियों को आनंद नहीं आता। जैसे कौवा सब रसों का भोग करता है परंतु गंदगी के बिना उसकी संतुष्टि नहीं होती, लोग अलग-अलग कारणों से निंदा रस का पान करते हैं। कुछ सिर्फ अपना समय काटने के लिए किसी की निंदा में लगे रहते हैं तो कुछ खुद को किसी से बेहतर साबित करने के लिए निंदा को अपना नित्य का नियम बना लेते हैं। निंदकों को संतुष्ट करना संभव नहीं है।

साथियों बात अगर हम निंदा पर वैश्विक विचारों की करें तो, महात्मा गांधी ने भी कहा है कि दूसरों के दोष देखने की बजाय हम उनके गुणों को ग्रहण करें। दूसरों की निंदा अश्रेयस्कारी है। निंदा करने व सुनने में व्यक्ति प्राय: आनंद लेता है। जबकि निंदा सुनना व निंदा करना, दोनों ही विषय है। इसीलिए हमारे महापुरुषों ने तो कहा है ‘ सपनेहां नहिं देखा परदोषा!अर्थात् स्वप्न में भी पराये दोषों को न देखना। भगवान बुद्ध ने कहा है , जो दूसरों के अवगुणों की चर्चा करता है , वह अपने अवगुण प्रकट करता है। भगवान महावीर ने भी कहा है कि किसी की निंदा करना पीठ का मांस खाने के बराबर है। विधाता प्राय: सभी गुणों को किसी एक व्यक्ति या एक स्थान पर नहीं देता है। ईसा मसीह ने कहा था ,लोग दूसरों की आंखों का तिनका तो देखते हैं, पर अपनी आंख के शहतीर को नहीं देखते। हेनरी फोर्ड ने कहा कि मैं हमेशा दूसरों के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करता हूं। हमारी सद्भावना या दुर्भावना ही किसी को मित्र या शत्रु मानने के लिए बाध्य करती है।सद्भावना अनुकूल स्थिति के कारण होती है और दुर्भावना प्रतिकूल स्थिति के कारण होती है। लोगों के छिपे हुए ऐब जाहिर मत करो। इससे उसकी इज्जत तो जरूर घट जाएगी, मगर तेरा तो ऐतबार ही उठ जाएगा।

साथियों बात अगर हम दूसरों के दोष ढूंढना, निंदा करना मानवीय स्वभाव की करें तो, दूसरों की निंदा करना। सदैव दूसरों में दोष ढूंढते रहना मानवीय स्वभाव का एक बड़ा अवगुण है। दूसरों में दोष निकालना और खुद को श्रेष्ठ बताना कुछ लोगों का स्वभाव होता है। इस तरह के लोग हमें कहीं भी आसानी से मिल जाएंगे। प्रतिवाद में व्यर्थ समय गंवाने से बेहतर है अपने मनोबल को और भी अधिक बढ़ाकर जीवन में प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते रहें। ऐसा करने से एक दिन आपकी स्थिति काफी मजबूत हो जाएगी और आपके निंदकों को सिवाय निराशा के कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। इसलिए सब तरफ गुण ही ढूंढने की आदत डालो। देखो कितना आनंद आता है। दुनिया में पूर्ण कौन है हरेक में कुछ न कुछ त्रुटियां रहती हैं।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन:। काक:सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति।।आओ निंदा त्यागने का संकल्प लें हम एक उंगली दूसरों पर उठाते हैं तो तीन उंगलियां हमारे तरफ उठती है इसको रेखांकित करना ज़रूरी है हम खुद का आंकलन दूसरे से सर्वश्रेष्ठ करने की चूक से बचें, स्वयं का छोटा कहलानें वाले व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ गुणवान होतें है।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465*

*मुख्यमंत्री कार्यालय, पंजाब* *मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव एवं राहत कार्यों में और तेजी लाने के निर्देश दिए* *ब्यास के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा; लोगों को संकट से बाहर निकालने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध* *बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं है*

पंजाब पुलिस ने राज्य भर के 138 रेलवे स्टेशनों की तलाशी ली युद्ध नाशियान विरुद्ध का 180वां दिन: 1.8 किलोग्राम हेरोइन के साथ 84 ड्रग तस्कर गिरफ्तार — ‘नशा मुक्ति’ अभियान के तहत, पंजाब पुलिस ने 58 लोगों को नशा मुक्ति उपचार के लिए राजी किया

*मुख्यमंत्री कार्यालय, पंजाब* *मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव एवं राहत कार्यों में और तेजी लाने के निर्देश दिए* *ब्यास के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा; लोगों को संकट से बाहर निकालने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध* *बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं है*

पंजाब पुलिस ने राज्य भर के 138 रेलवे स्टेशनों की तलाशी ली युद्ध नाशियान विरुद्ध का 180वां दिन: 1.8 किलोग्राम हेरोइन के साथ 84 ड्रग तस्कर गिरफ्तार — ‘नशा मुक्ति’ अभियान के तहत, पंजाब पुलिस ने 58 लोगों को नशा मुक्ति उपचार के लिए राजी किया