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मेरा इनेलो-बीएसपी से गठबंधन… गोपाल कांडा ने ठुकराया समर्थन, क्या सिरसा में फंस गई बीजेपी

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हरियाना/यूटर्न/17 सितंबर: हरियाणा विधानसभा चुनावों में बीजेपी कैंडिडेट रोहतास जांगड़ा के नामांकन वापस लेने के बाद सिरसा की सीट सुर्खियों में आ गई है। बीजेपी कैंडिडेट के मैदान से हटने के पीछे माना गया था कि पार्टी ने गोपाल कांडा के लिए अपना प्रत्याशी वापस लिया है। इसके बाद राज्य की राजनीति गरमा गई थी और सवाल खड़े हो रहे थे कि बीजेपी-इनेलो और बसापा में कोई अंदरुनी सांठगांठ है, क्योंकि गोपाल कांडा हरियाणा लोकहित पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें इनेलो और बसपा गठबंधन से समर्थन दिया है। अब इस पूरे मामले पर गोपाल कांड ने बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा है कि तरह-तरह की बातें हो रही है लेकिन सिर्फ इनेलो और बीएसपी से गठबंधन है। गोपाल कांडा ने कहा कि उनका इनेलो-बीएसपी से अटूट गठबंधन है। उन्होंने साफ किया कि उन्होंने बीजेपी से कभी भी समर्थन नहीं मांगा। न बीजेपी से उनके पास किसी का फोन आया। कांडा ने कहा उनके कार्यालय में कोई बीजेपी का आदमी नहीं है।
बीजेपी का समर्थन ठुकराया
गोपाल कांडा में सिरसा में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा मैंने कोई समर्थन नहीं लिया है, ना मेरे पास किसी का फोन आया। हमारा गठबंधन इनेलो और बसपा के साथ है। कांडा ने कहा जब किसी की तरक्की होती है तो देखी नहीं जाती है। कांडा ने जोर देकर कहा कि उनका अलायंस सिर्फ इनेलो और बीएसपी के साथ है। कांडा ने यह भी कहा कि सिरसा में जल्द ही बहन मायावती और इनेलो के नेता और पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला की रैली भी कराएंगे। हरियाणा में नामांकन वापसी के अंतिम दिन सिरसा से बीजेपी कैंडिडेट रोहतास जांगड़ा नामांकन वापस ले चुके हैं। कांडा ने बीजेपी से समर्थन लेने को खारिज कर दिया है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिरी बीजेपी ने किसके लिए अपने कैंडिडेट का पर्चा वापस लिया। चुनावी मैदान कांडा के सामने कांग्रेस से गोकुल सेतिया हैं।
गठबंधन टूटने का डर
बीजेपी कैंडिडेट के पर्चा लेने से पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें कांडा यह कहते हुए दिखाई दे रहे थे कि वह हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक सुनिश्चित करेंगे। इसके बाद 16 सितंबर को बीजेपी कैंडिडेट ने पर्चा वापस ले लिया था। अब गोपाल कांडा ने कहा कि उन्होंने किसी से समर्थन नहीं लिया। कांंडा की प्रेस कांफ्रेंस में पलटने के बाद चर्चा शुरू हो गई है कि कांडा को इनेलो और बसपा से गठबंधन टूटने का डर है। इसलिए अब उन्होंने अपना स्टैंड बदल लिया है। बीजेपी की तरफ से अभी तक आधिकारिक तौर यह साफ नहीं किया गया है कि पार्टी ने सिरसा से अपने कैंडिडेट का नामांकन क्यों पीछे खींचा है? 2019 के चुनाव में कांडा सिर्फ 602 वोटों से जीत पाए थे।
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