लुधियाना में वार्डबंदी का मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन
लुधियाना 21 नवंबर। पंजाब में नगर निगम चुनाव के दौरान इस बार सियासी-हालात एकदम अलग हैं। इस बार शिरोमणि अकाली दल-बादल अन्य प्रमुख दलों की तुलना में सियासी तौर पर कमजोर नजर आ रहा है। दूसरी तरफ लुधियाना में निगम चुनाव नई या पुरानी वार्डबंदी के तहत होंगे, यह मामला अभी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
गौरतलब है कि इस बीच जिला प्रशासन ने नगर निगम चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। वोटर लिस्ट जारी होने के साथ ही उसमें संशोधन का काम भी प्रक्रिया में है। जबकि अकाली सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे सीनियर एडवोकेट हरीश राय ढांडा निगम चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं। उनके मुताबिक बुधवार को हाईकोर्ट में उनकी याचिका पर सुनवाई हुई थी। उन्होंने अपना पक्ष रखते कहा था कि नई वार्डबंदी फर्जी तरीके से की गई थी। हाईकोर्ट ने जो पुरानी वार्डबंदी पर चुनाव कराने का आदेश दिया, वह स्पष्ट नहीं है। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में फैसले को रिजर्व रखा है। ढांडा ने उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में अदालती फैसला आ सकता है। यहां गौरतलब है कि साल 2017 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने नगर निगम लुधियाना की नए सिरे से वार्डबंदी कराई थी। जिसमें वार्डों की संख्या 75 से बढ़ाकर 95 कर दी गई थी।
दूसरी तरफ, सियासी हालात की बात करें तो शिअद-बादल में लगातार फूट जारी होने से निगम चुनाव में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है। बेशक सूबे की सत्ता में होने के बावजूद आम आदमी पार्टी की स्थिति भी बहुत बेहतर नहीं मानी जा रही है। इसके बावजूद सियासी-जानकारों की नजर में निगम चुनाव में आमतौर पर सूबे की सत्ताधारी पार्टी को उसके रसूख का फायदा मिलता है। वहीं, कांग्रेस फिलहाल प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते अकालियों की तुलना में मजबूत नजर आ रही है। जबकि भाजपा ने शिअद से नाता तोड़ने के बावजूद पिछले लोकसभा चुनाव में बेहतर राजनीतिक प्रदर्शन किया था। ऐसे में उसे अपने परंपरागत शहरी वोट-बैंक पर ज्यादा भरोसा है। जो उसके लिए निगम चुनाव में मददगार साबित हो सकता है।
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