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लुधियाना में सांसद तो हैं कांग्रेसी मगर ‘सियासी-दबदबा’ आप का 

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लुधियाना में सांसद तो हैं कांग्रेसी मगर ‘सियासी-दबदबा’ आप का

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कुल 9 में से 8 विस हल्कों में आप काबिज

एक हल्के में शिअद विधायक, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस रही जीरो

लुधियाना 19 मार्च। वैसे तो माना जाता है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वोटर अलग-अलग नजरिए से उम्मीदवार चुनते हैं। हालांकि सियासी नजरिए से किसी भी लोस सीट के हालात का आंकलन करते वक्त उसके विस हल्कों को नजरंदाज नहीं किया जाता। मसलन, लुधियाना में बेशक सांसद तो कांग्रेसी हैं, लेकिन कुल 9 में से 8 विस हल्कों के विधायक आम आदमी पार्टी के हैं। जबकि बचे एक अदद हल्के के विधायक शिरोमणि अकाली दल-बादल से हैं। सीधेतौर पर कहें तो पिछले विस चुनाव में आप की आंधी के चलते कांग्रेस लुधियाना में अपनी हाजिरी तक दर्ज नहीं करा सकी थी।

साल 2022 के विस चुनाव : आप के उम्मीदवारों ने तब सबको चौंकाते हुए कमोबेश पूरे लुधियाना पर कब्जा कर लिया था। गौरतलब है कि क्रमवार आप उम्मीदवार लुधियाना पूर्वी से दलजीत सिंह ग्रेवाल उर्फ भोला, साउथ सीट से राजिंदर पाल कौर छीना, आत्मनगर से कुलवंत सिंह सिद्धू, सेंट्रल से अशोक पाराशर पप्पी आसानी से जीत गए थे। इसी क्रम में वैस्ट सीट से गुरप्रीत बस्सी गोगी, नॉर्थ से मदन लाल बग्गा, गिल से जीवन सिंह संगोवाल तो जगरांव से सरबजीत कौर मणुके ने आप का परचम लहराया था। कांग्रेस को दाखा ने भी नकारा : चुनावी नतीजे आने के दौरान हॉट-सीट रही दाखा से भी कांग्रेस की उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फिर गया था। यहां से शिअद उम्मीदवार से बेशक आप जोरदार मुकाबला नहीं कर सकी, लेकिन कांग्रेस भी ढह गई थी। आप की आंधी में भी अयाली यहां से जीत गए थे।

 

कितना असर पड़ेगा नंबर-गेम का : सियासी जानकारों के मुताबिक अभी लुधियाना से प्रमुख उम्मीदवारों का ऐलान न होने से मतदाताओं का रुख भी तय नहीं है। हालांकि सूबे में आप की सरकार और 9 में 8 विस सीटें होने की वजह से जाहिर तौर पर उसके सियासी-दबदबे का असर नजर आएगा। मतदाताओं के एक हिस्से पर इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता ही है। सबसे अहम पहलू, पिछले दो टर्म में लगातार सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ही अगर फिर से उम्मीदवार बने तो उनकी सबसे ज्यादा जवाबदेही होगी। अगर कोई नया उम्मीदवार कांग्रेस उतारेगी तो वह मतदाताओं के प्रति कामकाज को लेकर जवाबदेही से बच सकता है।

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