सांसद अरोड़ा ने सरकार से साइकिल उद्योग को सुधारों के साथ मदद करने का किया आग्रह

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राज्यसभा में एमपी अरोड़ा ने उठाया साइकिल इंडस्ट्री का अहम मुद्दा

लुधियाना 7 फरवरी। राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा ने शुक्रवार को राज्यसभा के बजट सत्र में देश भर में साइकिल मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में चिंता जताई।

अरोड़ा ने परिवहन के सबसे स्वस्थ, पर्यावरण के अनुकूल और व्यापक रूप से सुलभ साधन के रूप में साइकिल के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि उद्योग कठिन समय का सामना कर रहा है और संबंधित मंत्रालयों से जल्द से जल्द प्रमुख मुद्दों को सुलझाने का आग्रह किया।

साइकिल और उनके कंपोनेंट्स के लिए जीएसटी स्ट्रक्चर के बारे में, अरोड़ा ने कहा कि वर्तमान में साइकिल के पुर्जों पर 18% जीएसटी, गैर-इलेक्ट्रिक साइकिलों पर 12% और इलेक्ट्रिक साइकिलों पर 5% जीएसटी लगता है। उन्होंने कहा, “जीएसटी स्ट्रक्चर में असमानता निर्माताओं पर बोझ डालती है, घरेलू उत्पादन को हतोत्साहित करती है और अनावश्यक वित्तीय बाधाएँ पैदा करती है।” उन्होंने परिवहन के इस स्थायी साधन के विकास को बढ़ावा देने के लिए 5% की एक समान जीएसटी दर की वकालत की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन की गई साइकिलों को जीएसटी से पूरी तरह छूट दी जानी चाहिए, जिसमें पुर्जों से लेकर अंतिम उत्पादन तक कम दर लागू होनी चाहिए।

अरोड़ा ने वाणिज्य मंत्रालय के डीपीआईआईटी के तहत एक महत्वपूर्ण अन्तर-मिनिस्ट्रियल बॉडी बाइसिकल डेवलपमेंट कौंसिल (बीडीसी) के नवीनीकरण की भी मांग की, जिसका नवीनीकरण 2021 से लंबित है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देरी से इस सेक्टर के भीतर स्ट्रेटेजिक ग्रोथ और इनोवेशन में बाधा आ रही है।

साइकिलों के महत्व को दोहराते हुए, अरोड़ा ने कहा कि वे न केवल परिवहन का एक किफायती साधन हैं, बल्कि स्थिरता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सरकार से इन मुद्दों को तत्काल हल करने, परियोजनाओं को सुव्यवस्थित करने और राष्ट्र के लाभ के लिए उद्योग के विकास को सुविधाजनक बनाने का आग्रह किया।

यह उल्लेखनीय है कि अरोड़ा का गृहनगर लुधियाना साइकिल निर्माण का एक प्रमुख केंद्र है। राज्यसभा सांसद के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद से, वे संसद के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकार के स्तर पर उद्योग की चिंताओं की सक्रिय रूप से वकालत करते रहे हैं।

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