संदीप शर्मा
लुधियाना का सिविल अस्पताल सफाई और सुरक्षा संबंधी अनियमितताओं के चलते शुरू से ही चर्चाओं में रहा है। लेकिन हाल ही के वर्षों में सिविल अस्पताल का जच्चा-बच्चा वार्ड चूहों की चहलकदमी की वजह से चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। स्वास्थ्य संबंधी मानकों की मानें तो अस्पताल का हरेक वार्ड ही नहीं बल्कि हरेक कोना साफ होना चाहिए। साथ ही प्रसूति विभाग के जच्चा-बच्चा वार्ड में सुरक्षा और सफाई का होना बेहद ही लाजमी है। गत वर्ष जब प्रसूति विभाग में छत का एक हिस्सा नीचे गिर गया था तो उस वक्त अस्पताल प्रबंधन ने चूहों की चहलकदमी को इसके लिए अहम वजह माना था। आशय स्पष्ट है कि अस्पताल प्रबंधन भी इस बात को स्वीकार कर चुका है कि उनके अस्पताल में न केवल चूहों की धमाचौकड़ी मची हुई है बल्कि चूहों का आतंक व्याप्त है।
प्रसूति विभाग का जच्चा-बच्चा वार्ड मतलब नवजात शिशु,प्रसूता महिला और साथ के गिनतीभर के एक या दो महिला-पुरुष तीमारदार। कोई बड़ी बीमारी से पीड़ित होकर इस वार्ड में आने वालों को संख्या तो बहुत नहीं होती है लेकिन नवजात शिशु का शरीर कितना संवेदनशील होता है और प्रसूता महिला कितनी कमजोर होती है इसको शब्दों में बयां करना गैरजरूरी है। जब हम उन तीमारदारों की लाचारी का अंदाज़ा लगाते हैं तो मन सिहर उठता है कि कैसे वो चूहों से अभी अपने सामान को, कभी खुद को तो कभी जच्चा-बच्चा को बचाने की भरसक कोशिश करते हैं। इन दिनों लुधियाना के सिविल अस्पताल के प्रसूती वार्ड का एक वीडियो बहुत वायरल हो रहा है जिसमें चूहे वार्ड में किसी तीमारदार या फिर मरीज के हिस्से के खाने की दावत उड़ाते हुए चहलकदमी कर रहे हैं।
बंदर के काटने से, कुत्ते के काटने से जिस तरह की खतरनाक बीमारी होती है ठीक उसी तरह की बीमारी चूहे के काटने से भी होती है। फर्ज कीजिए कि वार्ड में दाखिल किसी प्रसूता महिला को और उसके नवजात बच्चे को, किसी तीमारदार या फिर अस्पताल प्रबंधन के किसी कर्मचारी को चूहा काटता है और उससे संक्रमित होकर बेकसूर पीड़ित को गंभीर बीमारी होती है तो इसके लिए दोषी व्यक्ति को दंडित किया जाना संभव होगा क्या?
समय रहते ही लुधियाना सिविल अस्पताल और पंजाब हेल्थ कार्पोरेशन को सकारात्मक पहल करते हुए चूहा मुक्त जच्चा-बच्चा वार्ड की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।