शिव कौड़ा
फगवाड़ा : मां तुम्हारे बिना दुनिया सूनी है। तुम शारीरिक रूप से भले ही विदा ले गई हो,मगर तुम्हारी खुशबू वातावरण में मौजूद है। तुम्हारे त्याग के आगे सब कुछ गौण है।मां तुमसे ही यह दुनिया है। तुम न होती तो आज यह संसार शून्य होता,ये विचार मातृ दिवस पर दोआबा साहित्य एवं कला अकादमी द्वारा आर्य माडल सी सै स्कूल गोशाला रोड़ में आयोजित एक समारोह में पंजाब के प्रसिद्ध कवि स्व: सुरजीत पातर जिन का लुधियाना में स्वर्गवास हुआ व हमारे सदस्य पत्रकार शिव कौड़ा के पिता मनोहर लाल कौड़ा का स्वर्गवास हुआ था स्व कौड़ा जो कि पत्रकार के क्षेत्र में भीष्म पितामह थे उन्हेंअकादमी की तरह से श्रद्धांजलि दी गई। अकादमी के अध्यक्ष डा जवाहर धीर ने मां पर लिखी अपनी कविता सुनाते हुए कही।इस अवसर पर पंजाबी के कवि इन्द्रजीत सिंह संधू ने मां को नमन करते हुए मां को दुनिया की सबसे श्रेष्ठ कृति करार दिया। शानदार कविता सुनाते हुए हरचरन भारती ने इस संसार से जाने वालों के बाद के कष्ट का वर्णन किया । मां को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए डा.यश चोपड़ा ने कहा कि मां के चरणों में ही सबसे बड़ा स्वर्ग है।अगर मां ज़िन्दा है तो उनका सत्कार करें।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार डी पी साहिल ने कहा कि हमें मां के उपकारों को भूलना नहीं चाहिए। मंदिर में विराजमान मां भगवती को माथा टेकने से पहले घर में बैठी मां को प्रणाम किया करें।गज़लगो बलदेव राज कोमल ने मां को बच्चों में संस्कार देने वाली व त्याग की मूर्ति बताया। सुखदेव सिंह गंडवा ने अपने गीत में लोगों को नशों को त्यागकर सुखी जीवन जीने की सलाह दी। राजेश अध्याय ने अपनी कविता सुनाते हुए समाज से अनेक प्रश्न पूछे । वरिष्ठ कवियत्री सरला भारद्वाज ने कविता सुनाते हुए मां को श्रद्धासुमन भेंट किये। दिलीप कुमार पाण्डेय ने भी मां की शान में कविता सुनाई। नीरू ग्रोवर ने भी अपनी कविता पढ़ी।अकादमी के संरक्षक लेखक टी.डी.चावला ने मां दिवस पर विशेष रूप से आयोजित इस कार्यक्रम के लिए सदस्यों को बधाई दी।इस अवसर पर उपस्थित अन्य सदस्यों में पत्रकार शिव कौड़ा,अशोक खुराना, राहुल कुमार और नरेश कुमार भी उपस्थित थे।