मुद्दे की बात : मोदी मजबूर, मगर सरकारी-कुनबा मजबूत

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अबकी बार मोदी सरकार, आंकड़ों में असंतुलित, कैबिनेट में संतुलित

स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक और राजनीतिक-रिकॉर्ड दर्ज हो गया। इस लोकसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़े से दूर होने के बावजूद नरेंद्र मोदी कुशल गठबंधन वाले राजनेता साबित हो गए। जोड़तोड़ कर सरकार बनाने लायक आंकड़ा जुटा ही लिया। तीसरी बार प्रधानमंत्री शपथ लेते ही देश के पहले पीएम नेहरु के इस रिकॉर्ड की तो बराबरी कर ही ली। बाकी उनकी तरह 16 साल से ज्यादा पीएम रहेंगे, यह तो भविष्य का सवाल है। इस बार आंकड़ों के हिसाब से मोदी भले ही कमजोर पीएम हैं, लेकिन उनकी कैबिनेट सोशल-इंजीनियरिंग के नजरिए से मजबूत नजर आ रही है। जिसमें बीजेपी के साथ गठबंधन का भी पूरा रंग दिख रहा है।

उन्होंने अपनी कैबिनेट में जितना मौका नॉर्थ को दिया, उतना ही साउथ को भी दिया है। मोदी सरकार शपथ लेने के साथ ही ‘एक्शन-मोड’ में दिखी। रविवार रात तक शपथ-ग्रहण की रस्म चली और सोमवार मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक बुला ली गई। इसके साथ ही मंत्रियों के पोर्टफोलियो पर भी होम-वर्क तेजी से जारी है।

सरकारी सोर्सेज की मानें तो इस बार पीएम मोदी विकसित भारत मिशन और मोदी की गारंटी पर फोकस करेंगे। सबसे जानने लायक पहलू यही होगा कि आखिर मोदी सरकार में टॉप फोर मंत्री कौन रहेंगे। गौरतलब है कि इस बार लंबा-चौड़ा सियासी-कुनबा होने की वजह से पीएम मोदी का तीसरा शपथ समारोह सबसे लंबा रहा। पीएम मोदी समेत 72 सांसदों-राजनेताओं ने मंत्री पद की शपथ लीं। इसमें 30 कैबिनेट मंत्री, केवल पांच स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री और 36 राज्य मंत्रियों ने भी शपथ ली। काबिलेजिक्र है कि कैबिनेट में 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी जगह मिली है। इनमें राजनाथ सिंह तीसरी बार कैबिनेट मंत्री बने हैं। इनके अलावा शिवराज सिंह चौहान और मनोहर लाल खट्टर पहली बार मंत्री बने हैं। जबकि सर्बानंद सोनोवाल को भी मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही बीजेपी के साथी हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को भी कैबिनेट में जगह मिली।

सबसे खास पहलू, पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट में इस बार सभी साथियों को जगह दी है। कुल 72 मंत्रियों वाली कैबिनेट में इस बार 60 मंत्री बीजेपी कोटे से हैं। वहीं जेडीयू और टीडीपी से दो-दो मंत्री बने हैं। जबकि जेडीएस, एलजेपी, एचएएम, आरपीआई, अपना दल-एस, शिवसेना-शिंदे गुट और आरएलडी से एक-एक मंत्री बने हैं। निचोड़ निकालें तो बहुमत के नजरिए से भले आंकड़ों के मामले में मोदी सरकार को विपक्ष असंतुलित कहता रहे, लेकिन कैबिनेट के मामले में यह संतुलित नजर आ रही है।

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