नवीन गोगना
नई दिल्ली, 22 फरवरी – केंद्र सरकार ने विभिन्न हितधारकों की व्यापक चिंताओं और आपत्तियों के बाद अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 को वापस लेने का फैसला किया है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय के मुख्य लेखा नियंत्रक ध्रुव कुमार सिंह द्वारा जारी पत्र के अनुसार , विधेयक को 13 फरवरी, 2025 को विधि मामलों के विभाग की वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक परामर्श के लिए उपलब्ध कराया गया था। इस कदम का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और जनता की प्रतिक्रिया प्राप्त करना था।
हालांकि, कई सुझाव और चिंताएं मिलने के बाद सरकार ने परामर्श प्रक्रिया को रोकने और मसौदा विधेयक पर फिर से काम करने का फैसला किया है । संशोधित संस्करण पर आगे की कार्रवाई के लिए विचार किए जाने से पहले हितधारकों के साथ नए सिरे से विचार-विमर्श किया जाएगा।
यह निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया सहित कानूनी निकायों के कड़े विरोध के बीच आया है , जिसने विधेयक के कई प्रावधानों पर चिंता जताई थी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने पहले सरकार को पत्र लिखकर कानूनी पेशे को प्रभावित करने वाले संभावित मुद्दों पर प्रकाश डाला था।
विधेयक को वापस लेना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो जनता और व्यावसायिक चिंताओं के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है, साथ ही पारदर्शी नीति निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है ।