स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर खरीदे गए मोबाइल टॉयलेट अब कबाड़ बनने की कगार पर खड़े

मिशन के नाम पर खरीदे गए मोबाइल

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लाखों रुपये खर्च कर नगर परिषद द्वारा खरीदे टॉयलेट  बिशनपुर डंपिंग ग्राउंड में खड़े-खड़े जंग खा रहे

जीरकपुर, 29 अगस्त-

स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर खरीदे गए मोबाइल टॉयलेट अब कबाड़ बनने की कगार पर खड़े हैं। लाखों रुपये खर्च कर नगर परिषद द्वारा खरीदे गए ये टॉयलेट शुरुआत से ही इस्तेमाल में नहीं लाए गए और अब बिशनपुर डंपिंग ग्राउंड में खड़े-खड़े जंग खा रहे हैं। यह हाल तब है जब शहर के अधिकांश बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय की भारी कमी है और लोग मजबूरी में खुले में शौच करने को विवश हैं। नगर परिषद की यह लापरवाही न केवल जनता के लिए परेशानी का कारण है, बल्कि सरकारी धन की सीधी बर्बादी भी है।

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फ्लाईओवर के नीचे ‘ओपन टॉयलेट’

जीरकपुर के ज्यादातर बाजारों में सार्वजनिक शौचालय नहीं है। इसी कमी के चलते चंडीगढ़-अंबाला फ्लाईओवर के नीचे लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। दुकानदार और राहगीर इस समस्या से लंबे समय से परेशान हैं। कई बार नगर परिषद को शौचालय बनाने की मांग की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। फ्लाईओवर के नीचे लेबर, मजदूर और प्रवासी लोगों का जमावड़ा रहता है और वहीं खुले में शौच करने से गंदगी और बदबू फैलती है। हालात ऐसे हैं कि बीमारियों का खतरा लगातार मंडरा रहा है। दुकानदारों और ग्राहकों को रोज़ाना इस असुविधा का सामना करना पड़ता है। महिलाओं के लिए तो यह समस्या और भी गंभीर है।

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लापरवाही का नतीजा

हाल ही में नगर परिषद ने मोबाइल टॉयलेट खरीदे थे, जिन्हें उन इलाकों में अस्थाई रूप से लगाया जाना था जहां सार्वजनिक शौचालय मौजूद नहीं हैं। लेकिन अफसरों की अनदेखी के चलते यह टॉयलेट कभी ठीक से इस्तेमाल ही नहीं हुए। पहले इन्हें नगर परिषद की पार्किंग में खड़ा किया गया और अब बिशनपुर डंपिंग ग्राउंड में छोड़ दिया गया है। धीरे-धीरे ये मोबाइल टॉयलेट कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यह टॉयलेट बाजारों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में लगाए जाते तो बड़ी राहत मिल सकती थी। लेकिन नगर परिषद की सेनेटरी ब्रांच की लापरवाही ने इस योजना को पूरी तरह से असफल बना दिया।

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जनता की परेशानी और मांग

शहर के बाजारों में सार्वजनिक शौचालय न होने से सबसे अधिक दिक्कत महिलाओं और बच्चियों को होती है। दुकानदारों का कहना है कि सरकार खुले में शौचमुक्त भारत का नारा देती है, लेकिन हकीकत में आज तक न तो स्थाई शौचालय बनाए गए और न ही मोबाइल टॉयलेट का सही उपयोग हुआ। लोगों की साफ मांग है कि नगर परिषद मोबाइल टॉयलेट को कबाड़ बनने से बचाए और उन्हें तुरंत उन स्थानों पर लगाए जहां इनकी सबसे अधिक आवश्यकता है। इसके अलावा मुख्य बाजारों और फ्लाईओवर के आसपास स्थाई सार्वजनिक शौचालय का निर्माण जल्द से जल्द कराया जाए।

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मोबाइल टॉयलेट के कबाड़ बनने की घटना ने नगर परिषद की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी धन की बर्बादी और जनता की बढ़ती परेशानी इस बात का सबूत है कि योजनाओं को जमीन पर उतारने की बजाय कागज़ों में ही पूरा किया जा रहा है। अगर समय रहते कदम न उठाए गए तो आने वाले दिनों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है।

जीरकपुर के बाजारों में सार्वजनिक शौचालय नहीं हैं। फ्लाईओवर के नीचे मजदूर और प्रवासी लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। नगर परिषद ने इस समस्या के समाधान के लिए मोबाइल टॉयलेट खरीदे थे, लेकिन उनका कभी उपयोग नहीं हुआ। फिलहाल यह मोबाइल टॉयलेट बिशनपुर डंपिंग ग्राउंड में खड़े-खड़े कबाड़ बन रहे हैं। दुकानदारों और स्थानीय लोगों ने बार-बार मांग की है कि इन टॉयलेट को अस्थाई रूप से भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में लगाया जाए, लेकिन नगर परिषद की सेनेटरी ब्रांच की लापरवाही के चलते समस्या जस की तस बनी हुई है।

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मोबाइल टॉयलेट 300 से 400 लोगों की गैदरिंग वाली जगह के लिए खरीदे गए हैं l इसका इस्तेमाल सरकारी फंक्शन में किया जाता है जहां पर 300 से 400 लोगों की गैदरिंग हो, अगर यह मोबाइल टॉयलेट कबाड़ में फेंक रखे हैं तो कल ही इसकी जांच करवाई जाएगी।

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