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विधायक गोगी डाइंग इंडस्ट्री के लिए बने मसीहा, इलेक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री के लिए बने काल

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लुधियाना 28 सितंबर। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा लुधियाना के सभी सीईटीपी प्लांट बंद करने के आदेश देने के बाद इंडस्ट्री में हलचल पैदा हो चुकी है। जिसके चलते शनिवार को सभी डाइंग इंडस्ट्रियों के मालिक विधायक गुरप्रीत गोगी से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे। जहां डाइंग इंडस्ट्री मालिकों द्वारा उनके साथ प्रदूषण बोर्ड द्वारा धक्केशाही करने के आरोप लगाए गए। जबकि उन्होंने कहा कि बुड्‌ढे नाले में जेबीआर कंपनी द्वारा इलेक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री का पानी फेंका जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरे पंजाब में इलेक्ट्रोप्लेटिंग की 1600 यूनिट है। जिसका रोजाना सिर्फ 5 लाख लीटर पानी ही उठाया जा रहा है। उन्होंने जेबीआर की विजिलेंस जांच कराने की बात कही है। जिसके बाद विधायक गुरप्रीत गोगी द्वारा जेबीआर टेक्नोलॉजी कंपनी के फोकल प्वाइंट फेस-8 स्थित ऑफिस पहुंचे। जहां पर उनके साथ कई डाइंग यूनिटों के मालिक भी थे। वहां विधायक द्वारा ट्रीट किए जा रहे पानी को भी चैक किया गया। हालाकि चैकिंग के बाद विधायक गोगी ने कहा कि डाइंग इंडस्ट्री को जबरन फंसाया जा रहा है। लेकिन असलियत में जेबीआर की और से इलेक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री का अनट्रीटेड पानी नाले में गिराया जा रहा है। इस दौरान विधायक गोगी द्वारा प्रदूषण बोर्ड व नगर निगम के अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए हैं। विधायक ने कहा कि जेबीआर की मशीनरी भी चैक की जाएगी कि वह पानी ट्रीट कर भी रही है या नहीं। वहीं डाइंग इंडस्ट्री का आरोप है कि अगर सीईटीपी प्लांट का पानी दरिया में नहीं गिराया जा सकता, तो फिर जेबीआर का पानी क्यों गिराया जा रहा है।

एसटीपी प्लांट के भी लिए गए सैंपल
वहीं विधायक गोगी द्वारा ताजपुर रोड का भी दौरा किया गया। वहां पर नगर निगम के एसटीपी प्लांट के नाले में डिस्चार्ज किए जा रहे पानी का भी विधायक द्वारा सैंपल भरा गया। विधायक गोगी ने कहा कि सैंपल लिए गए पानी में गंदगी साफ दिखाई दे रही है। इसका मतलब है कि निगम के ही प्लांट सही से पानी ट्रीटेड नहीं कर पा रहे हैं।

पीपीसीबी व निगम में काली भेड़े
विधायक गुरप्रीत गोगी ने कहा कि प्रदूषण बोर्ड व नगर निगम में कई काली भेड़े हैं। इन्हीं के कारण आज तक नाला साफ नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि पुरानी सरकारों के सभी नेताओं व अधिकारियों द्वारा गलत डीडीआर तैयार कर करोड़ों रुपए हड़प कर लिए गए। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों की जान का सवाल है। इसे बर्दाशत नहीं किया जाएगा।

जेबीआर नियमों के मुताबिक कर रही काम
जेबीआर प्लांट के अधिकारी प्रदीप सिंह ने कहा कि यह प्लांट पीएसआईसी को दिया तब यह बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट प्लांट था। जिसके बाद इसे जीबीआर द्वारा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज किया गया। पहले 200 केएल का प्लांट था, इंडस्ट्री बढ़ने पर सरकार ने कैपेसिटी बढ़ाने को कहा। जिसके बाद कैपेसिटी बढ़ाई गई। वहीं सरकार ने यह भी कहा था कि प्लांट पर जेबीआर इन्वेस्टमेंट करेगा। मौजूदा समय में डायरेक्टर इंडस्ट्री पंजाब  इसके सीओ हैं, उन्होंने आगे मेंबर बनाए हैं, जो इसका काम देख रहे हैं। प्रदीप सिंह ने कहा कि जब मर्जी विजिलेंस जांच करवाई जा सकती है। उनकी तरफ से फैक्ट्रियों से जो पानी उठाया जाता है, उसकी पर्ची काटी जाती है। पर्ची के मुताबिक पानी ट्रीट होता है। जेबीआर पानी को ट्रीट कर आरओ पानी बनाती है। जिसे सड़कों के सेंटर वर्ज में पौधों के लिए डाला जाता है।

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