चंडीगढ़ 14 अक्टूबर। पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ पर दावे और भूमि अदला-बदली के मुद्दे एक बार फिर गरमा सकते हैं, क्योंकि 25 अक्टूबर को चंडीगढ़ में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद (एनजैडसी) की स्थायी समिति की बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में पंजाब सरकार चंडीगढ़ को पंजाब में शामिल करने के अपने लंबे समय से चले आ रहे दावे को प्रमुखता से उठाएगी, जबकि हरियाणा इस दावे का कड़ा विरोध करेगा। बैठक के लिए तैयार किए गए एजेंडे में लगभग 20 प्रमुख मुद्दे शामिल हैं, जिनमें से कुछ मुद्दे लंबे समय से लंबित हैं। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें भूमि अदला-बदली, सरकारी कर्मचारियों का अनुपात, साइबर अपराध, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, और हरियाणा की नई विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में भूमि की मांग शामिल हैं।
दोनों स्टेट के दावे फिर से होंगे आमने-सामने
पंजाब लंबे समय से चंडीगढ़ को अपने राज्य में शामिल करने की मांग कर रहा है, जिसे हरियाणा ने बार-बार खारिज किया है। चंडीगढ़ प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह मामला केंद्र सरकार के अधीन है, और किसी भी प्रकार का निर्णय भारत सरकार ही लेगी। हरियाणा ने भी चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे का विरोध किया है, और पिछले कई वर्षों से दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे पर कई बैठकें हो चुकी है, जिसने अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों और कर्मचारियों के अनुपात को लेकर भी विवाद है। दोनों राज्य चाहते हैं कि उनके कर्मचारियों का उचित प्रतिनिधित्व बना रहे, लेकिन हाल के वर्षों में यह संतुलन बिगड़ गया है।
चर्चा के मुख्य पॉइंट
इस बैठक में अन्य प्रमुख मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा, जिनमें पंजाब विश्वविद्यालय के लिए अनुदान जारी करने, साइबर अपराध की रोकथाम, यौन अपराधों की जांच, गांवों में बैंकिंग सुविधाएं, और पीएमजीएसवाई सड़क संपर्क योजना शामिल हैं। इसके अलावा, चंडीगढ़ को 12 एकड़ भूमि का प्रावधान, जिसके बदले में चंडीगढ़ 10 एकड़ भूमि देगा, भी चर्चा का हिस्सा होगा। चंडीगढ़ की सीमित भूमि और इसके भविष्य के विकास को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन को निर्णय लेते समय कई पहलुओं पर विचार करना होगा, खासकर जब पड़ोसी राज्यों को भूमि देने की बात आती है।